विधायक अमित सिहाग ने विधानसभा में उठाया कालुआना खरीफ चैनल का मुद्दा

संवाद सहयोगी डबवाली। विधायक अमित सिहाग ने विधानसभा सत्र में कालुआना खरीफ चैनल का मुद्दा फिर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 14 Mar 2021 07:45 AM (IST) Updated:Sun, 14 Mar 2021 07:45 AM (IST)
विधायक अमित सिहाग ने विधानसभा में उठाया कालुआना खरीफ चैनल का मुद्दा
विधायक अमित सिहाग ने विधानसभा में उठाया कालुआना खरीफ चैनल का मुद्दा

संवाद सहयोगी, डबवाली। विधायक अमित सिहाग ने विधानसभा सत्र में कालुआना खरीफ चैनल का मुद्दा फिर से उठाया है। विधायक ने प्रश्न उठाया कि 2014 से अब तक सिरसा जिले में कितने खरीफ चैनलों को सरकार द्वारा मंजूर किया गया है और उनकी क्या स्थिति है। जिसके जवाब में कृषि मंत्री ने बताया सिरसा जिला में चार खरीफ चैनल सरकार द्वारा मंजूर किए गए हैं लेकिन अभी उनका निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। जो पिछली सरकार के समय मंजूर किए गए दो चैनल रत्ता खेड़ा खरीफ चैनल और नाईवाला चैनल का बचा हुआ कार्य पूरा किया है। विधायक ने मंत्री से कहा कि उन्होंने पिछली बार विधानसभा सत्र में कालुआना खरीफ चैनल के निर्माण का कार्य करवाने को कहा था लेकिन सरकार ने पानी की कमी होने के बहाना बना उसे रद्द कर दिया था। सिहाग ने कहा कि अगर पानी की कमी थी तो कालुआना खरीफ चैनल को रद्द कर सिरसा जिला में चार अन्य खरीफ चैनल को क्यों मंजूरी दी गई।

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ठंडे बस्ते में डाल दिया प्रोजेक्ट

कृषि मंत्री द्वारा पानी की कमी का हवाला देकर कालुआना खरीफ चैनल रद्द करने के जवाब पर सिहाग ने आंकड़े बताते हुए कहा कि कालुआना खरीफ चैनल 29500 जीबीएसएम लिक चैनल से निकलना था जिसके लिए वर्ष 2014 में तत्कालीन हुड्डा सरकार के समय 16 फरवरी 2014 को कालुआना खरीफ चैनल के निमार्ण कार्य का नींव पत्थर रखा गया था और करीब 36 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे, साथ ही जमीन के लिए सेक्शन 4 व 5 की धाराएं लग चुकी थी। सिहाग ने कहा कि सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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भूमि अधिकृत नहीं कर पाई

सिहाग ने कहा कि उस समय 29500 हैड की क्षमता 253 क्यूसिक थी जो की बाद में अपग्रेड होने के बाद इसकी क्षमता 609 क्यूसिक हो गई थी और 30 फीसद अतिरिक्त पानी के बहाव की भी संभावना रहती है। ऐसे में इसकी कुल क्षमता 792क्यूसिक बनती है। कालुआना खरीफ चैनल को केवल 180 क्यूसिक पानी की जरूरत है। सिहाग ने कहा कि सरकार ने जो अन्य चैनल मंजूर किए थे, उसके लिए अभी तक सरकार भूमि भी अधिकृत नही कर पाई है और उसके विपरीत कालुआना खरीफ चैनल के लिए किसान अपनी जमीन देने को तैयार है।

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