ब्रह्मलीन हुए गोसेवक संत यमुना मुनि महाराज

रोड़ी गोशाला के संचालक संत यमुना मुनि महाराज शुक्रवार प्रात तीन बज

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 06:42 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 06:42 AM (IST)
ब्रह्मलीन हुए गोसेवक संत यमुना मुनि महाराज
ब्रह्मलीन हुए गोसेवक संत यमुना मुनि महाराज

संवाद सहयोगी, रोड़ी : रोड़ी गोशाला के संचालक संत यमुना मुनि महाराज शुक्रवार प्रात: तीन बजे ब्रह्मलीन हो गए। वे करीब 85 वर्ष के थे। उनके देहावसान पर नगर व आसपास के गांवों के बड़ी संख्या में श्रद्धालु व गणमान्य लोग पहुंचे। संत यमुना मुनि महाराज ने पिछले पांच दशकों से रोड़ी क्षेत्र के कई गांवों में डेरों व मंदिरों का निर्माण करवाया। कस्बा रोड़ी के सरदूलेवाला रोड पर वर्ष 1986-87 में गोशाला का निर्माण करवाया, जिसमें वे सदैव गायों की सेवा में लगे रहते थे। उन्होंने गांव जटाणा में एक भव्य मंदिर का भी निर्माण करवाया जिसमें माता दुर्गा, विष्णु सहित अन्य देवी देवताओं की मूर्तियों की स्थापना की। कस्बा रोड़ी में गोशाला में ही रहकर हरियाणा, पंजाब के लोग गोशाला में सेवा के लिए हर समय लगे रहते थे। इस दौरान उन्होंने संत सीता राम को भी अपना शिष्य बनाया। संत सीताराम गायों के लिए नजदीकी गांवों से हरा चारा लाकर उनकी मदद करते रहे हैं। क्षेत्र के लोग भी संतश्री की गोसेवा से प्रेरित होकर गायों की सेवा के लिए आगे आएं हैं। वर्तमान में रोड़ी में श्री कृष्ण गोशाला में बड़ी संख्या में गायों की सार संभाल की जाती है। संत यमुना मुनि महाराज संतोषी साधु थे। आठ पहर में एक बार ही आहार ग्रहण करते थे। उन्होंने गायों के लिए लगभग 30-40 एकड़ जमीन खरीद कर गायों के लिए हरा चारा ही बिजाई करवाते थे। शुक्रवार को उनके देहावसान के पश्चात बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके अंतिम दर्शनों को उमड़े। शाम को रोड़ी गोशाला में उनका विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया, उनके शिष्य संत सीताराम ने उन्हें मुखाग्नि भेंट की।

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