खेत खलिहान : उमस भरा मौसम पशुओं के लिए भी घातक

जागरण संवाददाता, सिरसा : पशुओं के लिए उमस भरा मौसम ज्यादा नुकसानदायक साबित होता है। पशुओं की आहार ग्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Aug 2020 05:44 AM (IST) Updated:Tue, 18 Aug 2020 06:16 AM (IST)
खेत खलिहान : उमस भरा मौसम पशुओं के लिए भी घातक
खेत खलिहान : उमस भरा मौसम पशुओं के लिए भी घातक

जागरण संवाददाता, सिरसा : पशुओं के लिए उमस भरा मौसम ज्यादा नुकसानदायक साबित होता है। पशुओं की आहार ग्रहण क्षमता को घट जाती है साथ में दूध उत्पादन भी कम हो जाता है। इससे दूध की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। इस मौसम में संक्रामक रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है जिसमें पशुओं की जान भी जा सकती है। पशु चिकित्सकों के अनुसार इस मौसम में पशुपालक थोड़ी सी सजगता से काम लें तो पशुओं को स्वस्थ रखना आसान है। इससे दूध का उत्पादन गुणवत्ता के साथ बनाए रखा जा सकता है। -------

पशुओं में उमस से बढ़ती है बीमारी

उमस वाली गर्मी में पशुओं पर लगने वाली परजीवी एकाएक बढ़कर अधिक हो जाता है जिससे चिचड़ व अन्य परजीवी लगने से थैलेरिया एवं बेबीसिया जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। संक्रमण के रोग जिसमें लंगड़ा बुखार, गल घोटू, मुंह-खुर का रोग व पका खुर व अन्य कई बीमारियां इस मौसम में हो जाती है। अगर पशुओं को सही समय पर उपचार न मिले तो जान भी जा सकती है, इतना ही नहीं उमस के कारण हरे चारे की गुणवत्ता भी थोड़ी देर में प्रभावित होना शुरू हो जाती है। पशुओं के कम उम्र के छोटे बछड़े एवं कटड़ों के दस्त या पेचिस होने के कारण उनकी मृत्युदर में अचानक वृद्धि हो जाती है। संक्रमण के चलते दूध की गुणवत्ता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। पशुपालक को चाहिए कि वे मौसम के अनुसार ही पशुओं को चारा खिलाए। पशुपालकों को चाहिए कि वे किसी भी कीमत पर मवेशियों को धूप में न बांधे। इन दिनों की धूप पशु को ज्यादा बीमार बनाने में सहायक है।

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हवादार जगह पर बांधे पशु

पशुओं को उमस से बचाने के लिए छायादार एवं हवादार जगह पर बांधना जरूरी है। गोबर एवं मूत्र की सही निकासी जरूरी है। अगर बरसात के कारण फर्श गीला हो तो बिछावन बिछाकर सूखा करना चाहिए। पशुओं पर इस मौसम में पंखों की व्यवस्था की जाए। उनकी खुरली एवं उसके कोनों की लगातार सफाई करें। इसी के साथ पशुओं दिन में चारा देने की बजाए सुबह-शाम डाला जाए। गर्मी से बचाने के लिए हरे चारे के साथ दिए जाने वाले दलिए की भी मात्रा ज्यादा एवं चारे की मात्रा घटा देनी चाहिए। जोहड़ या तालाब में पशु को ले जाने से पहले उसको घर पर साफ एवं ठंडा पानी पिलाकर ले जाने का प्रयास करें ताकि गंदे पानी पीने से बचाया जा सके। पशु को दिन में कई बार पानी पिलाएं। वहीं शाम के समय मच्छरों के लिए पशुओं पर मच्छरदानी का प्रयोग करें। उपलों में आग लगाकर उनके पास धुंआ करना बेहतर होगा। इससे कई बीमारियों से बचाव होता है।

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पशु स्वस्थ है तो दूध भी ज्यादा मिलेगा। इस उमस से सब परेशान हैं। यह उमस इंसान को ही नहीं जानवरों को भी परेशान करती है। इसलिए पशुओं की उचित देखभाल करना बहुत जरूरी है। पशुओं को हरा चारा खिलाने के साथ समय समय पर पानी पिलाए। पशुओं को हवादार जगह पर बांधे।

- डा. वीएस बांसल, एसडीओ, पशुपालन विभाग।

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