कोयला के रेट बढ़ने से आशियाना बनाना होगा महंगा

पिछले कई दिनों से कोयला के रेटों में बढ़ोतरी हो रही है। इसस

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 08:42 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 08:42 PM (IST)
कोयला के रेट बढ़ने से आशियाना बनाना होगा महंगा
कोयला के रेट बढ़ने से आशियाना बनाना होगा महंगा

जागरण संवाददाता, सिरसा : पिछले कई दिनों से कोयला के रेटों में बढ़ोतरी हो रही है। इससे ईंट के रेट भी बढ़ने शुरू हो गये। इससे आशियाना बनना महंगा हो गया। जिन लोगों ने आशियाना बनने का प्लान बनाया हुआ है उनका बजट बिगड़ सकता है। ईंट भट्ठे पर कोयला बीस हजार रुपये प्रति टन से ऊपर आ रहा है। इससे अब ईंट के रेट पांच हजार रुपये प्रति हजार हो गये हैं। जबकि एक माह पहले ईंट के रेट 4600 रुपये थे। अब ईंट भट्ठा पिछले सात माह से बंद पड़े हुए है। ईंट भट्ठे नवंबर माह में फिर से शुरू होने हैं। अगर इसी तरह से कोयला के रेट बढ़े तो ईंटों के रेट काफी बढ़ सकते हैं।

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जिग जैग सिस्टम होने से 10 टन कोयला लगता है कम

जिले में करीब 180 ईंट भट्ठे हैं। इनमें जिग जैग सिस्टम लगे हुए हैं। जिग जैग सिस्टम ईंट भट्ठा के अंदर होने से कोयला की काफी बचत होती है। इस सिस्टम से 10 टन कम कोयला लगता है। अगर एक लाख ईंट पकाने के लिए 30 टन कोयला लगता था तो नई तकनीक जिग जैग से 20 टन कोयले की ही खपत होगी। इसके अलावा भट्ठे से निकलने वाला धुआं भी पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं होगा, क्योंकि नई तकनीक धुएं में जहरीले कणों को कम कर देगी।

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क्या है जिग जैग तकनीक

भट्ठे में पहले ईंट पकाने के दौरान छल्लियों में सीधी हवा दी जाती थी, लेकिन जिग जैग सिस्टम में टेढ़ी-मेढ़ी लाइन बनाकर हवा दी जाएगी। सिस्टम के तहत चिमनी में खास किस्म का पंखा लगा होता है। पंखा चिमनी में आने वाले जहरीले धुएं को छानकर बाहर निकालता है।

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