चना समय पर बिजाई कर किसान ले सकते हैं अधिक उत्पादन
चना की बिजाई का समय समीप आ गया है। चना की बिजाई से पहले किसान ख
जागरण संवाददाता, सिरसा : चना की बिजाई का समय समीप आ गया है। चना की बिजाई से पहले किसान खेतों को अच्छे से तैयार कर लें। किसान चना की अगेती बिजाई से अधिक उत्पादन ले सकते हैं। इससे किसानों को अधिक मुनाफा होगा। किसान देसी चना की 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक अगेती बिजाई कर सकते हैं। वहीं चना-1 व गौरा हिसारी नवंबर माह में दूसरे व तीसरे सप्ताह में बिजाई कर सकते हैं। चना की किसान लाइनों में एक फीट ड्रिल या पौरा से नमी कम हो तो लाइनों का फासला एक से डेढ़ फुट तक रखें। यदि हो सके तो बैडप्लांटर से बिजाई करें।
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10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होती है बिजाई
जिले में चना की 10 हजार हेक्टेयर पर की जाती है। इस सीजन में चना के भाव पांच हजार रुपये से ऊपर रहे हैं। इससे इस बार बिजाई का क्षेत्र बढ़ सकता है। किसान बीज उपचार के बाद चना की बिजाई करें। चना की किसान बीज उपचार के बाद किसान बिजाई करें। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को बीज उपचार करने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
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दीमक की रोकथाम के लिए ये करें
चना बिजाई जिस भूमि में करनी है। दीमक की रोकथाम के लिए एक से आधा लीटर क्लारोपरीफास 20 ईसी एक लीटर पानी में मिलाकर एक क्विंटल बीज का उपचार करें। इसके साथ ही संक्रमण की रोकथाम के लिए 2 से आधा ग्राम बैविस्टिन व एक ग्राम ब्रासीकोल प्रति किलो के हिसाब से बीज उपचार करें। किसान राईजोबियम का प्रयोग करने के लिए 50 ग्राम से 60 ग्राम गुड को दो कप पानी में घोलकर एक एकड़ के बीज के ऊपर छिड़काव कर दें। इसके बाद अच्छी तरह से मिला दें। किसान 35 किलोग्राम डीएपी बिजाई के समय या आखिरी जुताई के वक्त करें। सिचित क्षेत्रों ने 10 किलो जिक सल्फेट भी प्रयोग करें। किसान बिजाई के 45 से 60 दिन के बीच फूल आने से पहले सिचाई करें।
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किसान बिजाई के बाद समय समय पर निरीक्षण करें। अगर कोई बीमारी नजर आती है तो फसल में कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर ही स्प्रे करें। चना की फसल में कई प्रकार के खरपतवार हो जाते हैं। इसके लिए समय पर खरपतवार को नियंत्रण करें। रोग नियंत्रण के लिए 1.25 ग्राम ब्रासीकाल प्रति किलो बीज उखेड़ा के लिए तथा 2-1 ग्राम बैविस्टन प्रति किलो ब्लाइट के लिए प्रयोग करें। किसान चना की अगेती बिजाई से अधिक मुनाफा काम सकते हैं। बिजाई से पहले चना का बीज उपचार करें। वहीं समय पर किसान खरपतवार नियंत्रण करें।
- डा. सुनील बैनीवाल, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, सिरसा।