दीदार व बहाल संधु ने बसाया था गांव माखा

कालांवाली से 13 किमी दूर गांव माखा डबवाली-कालांवाली मुख्य सड़क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 10:22 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 10:22 PM (IST)
दीदार व बहाल संधु ने बसाया था गांव माखा
दीदार व बहाल संधु ने बसाया था गांव माखा

मुकेश अरोड़ा, कालांवाली : कालांवाली से 13 किमी दूर गांव माखा डबवाली-कालांवाली मुख्य सड़क पिपली बस स्टैंड से उत्तर दिशा की तरफ तीन किमी दूर स्थित है। गांव माखा को संधु गोत्र के दीदार व बहाल सिंह जमींदारों ने लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व बसाया था। उन्होंने सरहाली जिला अमृतसर पंजाब से यहां आकर गांव की 2300 बीघा भूमि जो 1600 एकड़ के करीब बनती है को खरीद कर इस गांव को बसाया था। बाद में यहां गोदारा, महला, धाडीवाल, बांदर, सरां, सिधु गोत्र के किसान भी आकर बस गए।

गांव की आबादी 2700 से ज्यादा है तथा 1200 के करीब मतदाता है। गांव माखा के किसानों ने पंजाब के गांव पक्काकलां से मिस्त्री जाति, गोदारा व सरां गोत्र के जमींदारों तथा चढ़ता मल महेश्वरी को यहां लाकर बसाया था, ताकि गांव में हिसाब किताब करने वाला महाजन बस जाए। उस समय चढ़ता मल महेश्वरी को जमींदारों ने 100 बीघा जमीन भी दी थी। बताया जाता है कि जब यह गांव बसाया गया था तब वृक्षों पर मधु मक्खियां के छत्ते ज्यादा थे इसे पंजाबी भाषा में मखियाल या मक्ख कहते थे, इसी कारण इस गांव का नाम माखा पड़ गया। गांव माखा में 1954 में भाखड़ा नहर में पानी आया जिस से यहां खुशहाली आई इससे पूर्व यहां पीने हेतु पानी की भारी कमी थी। महेश्वरी परिवार की बुआं राधी देवी ने यहां अपने खर्च पर एक कुएं का निर्माण करवाया था। गांव माखा के महेश्वरी परिवार के लोग अब कालांवाली, बठिडा, गंगानगर, फरीदाबाद, बंगलौर आदि स्थानों पर व्यापार करने गए तथा वहीं आबाद हो गए।

गांव निवासी निक्का ठेकेदार ने बताया कि गांव में प्राइमरी स्कूल व जलघर भी है। यहां पशु अस्पताल का भवन है परंतु अस्पताल चालू नहीं है। यहां सरकारी बस सेवा भी नहीं है। गांव में संत भोला पुरी का डेरा भी है इसमें दुर्गा मंदिर भी बना हुआ है। गांव में शहीदों की समाधि भी बनी हुई है। सरकारी बस सेवा न होने के कारण ग्रामीणों को तीन किलोमीटर की दूरी तय कर के पिपली के बस अड्डे से बसें पकड़नी पड़ती है।

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