पानी के फिल्टर की तरह आत्मा को भी साफ करें : जितेंद्र मुनि

जैन संत जितेंद्र मुनि ने कहा कि सारा संसार जीव व अजीव का खेल है। जैन सं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 06:26 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 06:26 AM (IST)
पानी के फिल्टर की तरह आत्मा को भी साफ करें : जितेंद्र मुनि
पानी के फिल्टर की तरह आत्मा को भी साफ करें : जितेंद्र मुनि

संवाद सूत्र, रानियां : जैन संत जितेंद्र मुनि ने कहा कि सारा संसार जीव व अजीव का खेल है। जैन संत वीरवार को जैन धर्मशाला में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब आत्मा की भक्ति, आत्मा की धर्म आराधना, आत्मा की शुद्धि के लिए होगी। भोगों के वास्ते नहीं, धन-दौलत के लिए नहीं, तब आत्मा को समाधि मिलेगी। जब तक इन भौतिक सुखों में चक्कर में पड़े रहोगे न तो आत्मा को तृप्ति मिलेगी और न आत्मा को भगवान मिलेंगे। शांति चाहिए तो इनसे ऊपर उठना चाहिए। आत्म समाधि व परमात्मा का स्थान पाना कोई आसान काम नहीं। आत्मा को स्वच्छ करने का मार्ग ही धर्म का मार्ग है। अपने आपको पहचानो तो, दूसरों को पहचान जाओगे। अपने आपको नहीं पहचाना तो दूसरों की पहचान केवल शरीर, घर तक है इसके आगे कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि जैसे पानी को फिल्टर करते हैं उसी प्रकार अपनी आत्मा का शुद्धिकरण करें। अगर पानी को फिल्टर करके न पीया जाए तो शरीर में विकार पैदा होंगे क्योंकि वह पानी आप स्वच्छ नहीं मानते। इसी प्रकार हमारी आत्मा में कितना कचरा भरा पड़ा है। ज्ञान तभी आएगा जब हम नौ तत्वों का ज्ञान अर्जित करेंगे। अहिसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, क्षमा, विनम्रता, सरलता, संतोष, समता ये गुण आत्मा में रहें, ये धर्म के अंग है। हिसा, झूठ, परिग्रह, चोरी, मान, माया, लोभ, राग व लड़ाई झगड़ा जितने दोष है इनसे दूर रहें। यह सब नौ तत्वों के ज्ञान से संभव है।

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