गेंहूं के अवशेष जलाने पर दर्ज होगा केस
जागरण संवाददाता, सिरसा: जिला में रबी फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे हुए गेहूं के फ
जागरण संवाददाता, सिरसा: जिला में रबी फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे हुए गेहूं के फानों व अन्य फसलों के अवशेषों में आग लगाना आइपीसी की धारा 188 सहपठित वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंडनीय अपराध है।
उप कृषि निदेशक डा. विनोद फोगाट ने बताया कि इसका उल्लंघन करने पर यदि व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो वह दंड का भागी होगा। गेहूं का भूसा जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है व दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। इसके अतिरिक्त जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे भविष्य में मौसम में बदलाव के कारण बारिश में कमी व धुएं के कारण एलर्जी जैसी बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने बताया कि इससे मिट्टी में विद्यमान मित्र कीटों की कमी होने के कारण जमीन में उपजाऊ शक्ति घटने के साथ-साथ पशुओं के चारे में कमी होती है। गेहूं के भूसा की कम्पोस¨टग करके जैविक खाद बनाई जा सकती है।
डा. फोगाट ने बताया कि गेहूं के भूसा को जलाने की बजाए किसान मल्चर, रोटावेटर, चोपर, स्ट्रा रीपर, हैप्पी सीडर इत्यादि कृषि यंत्रों का प्रयोग करके अपने खेत में बचे हुए अवशेषों को भूमि में मिला सकता है व भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ा सकता है।