नहरी पानी व बिजली की समस्या से नहीं हो पा रही नरमा की बिजाई
मुकेश अरोड़ा कालांवाली क्षेत्र की नरमा बेल्ट में नहरी पानी और बिजली की कमी से हर साल नरमा की बिजाई पिछड़ जाती है। जिससे किसानों को हर साल भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। किसानों द्वारा नहरी पानी की कमी को पूरा करने और बिजली की पर्याप्त सप्लाई की मांग किए जाने पर भी समस्या हल नहीं हुई। इससे किसान नरमा की बजाय ग्वार की बिजाई कर रहे।
मुकेश अरोड़ा, कालांवाली : क्षेत्र की नरमा बेल्ट में नहरी पानी और बिजली की कमी से हर साल नरमा की बिजाई पिछड़ जाती है। जिससे किसानों को हर साल भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। किसानों द्वारा नहरी पानी की कमी को पूरा करने और बिजली की पर्याप्त सप्लाई की मांग किए जाने पर भी समस्या हल नहीं हुई। इससे किसान नरमा की बजाय ग्वार की बिजाई कर रहे।
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भाखड़ा नहर भी रही बंद
कालांवाली क्षेत्र में नरमे की फसल दूसरे क्षेत्रों से ज्यादा होती है। परंतु जब गेहूं पक जाती है तो तब आग लगने के डर से ट्यूबवेलों के लिए बिजली की आपूर्ति काट दी जाती है और अप्रैल के अंत तक किसान अपने ट्यूबवेल चलाने से असमर्थ हो जाते हैं। इस दौरान ही भाखड़ा नहर में भी बंदी कर दी जाती है। इस तरह किसान चाह कर भी नरमे की फसल की बिजाई के लिए सिचाई करने से वंचित हो जाते हैं। जिस करके नरमे की बिजाई काफी पिछड़ जाती है। दूसरा यह कि पछेती बिजाई के साथ नरमे की फसल लू के साथ जल जाती है।
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बुधवार को छोड़ा गया पानी
इस बार भी भाखड़ा नहर में अधिक दिनों की बंदी के बाद बुधवार को पानी छोड़ा गया। इससे बिजाई किसान नहीं कर सके। वह सिर्फ अब ट्यूबवेल पर ही निर्भर हैं। परंतु बिजली की सही सप्लाई न होने के कारण वह नरमे की बिजाई के लिए सही समय पर सिचाई नहीं कर सकते। मई महीने में तेज धूप और रेत के साथ आधी चलना नरमे की फसल के लिए घातक सिद्ध होती हैं। इस महीने में नरमे की 25 फीसद तक फसल तबाह हो जाती है। जिस करके हर किसान अगेती बिजाई के लिए जल्दी करता है। परंतु मजबूरीवश उनको हर बार नरमे की बिजाई लेट ही करनी पड़ती है और जब नरमे की अंकुरित हो रही फसल बर्बाद हो जाती है तो उनको भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है।
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सिचाई विभाग के एसडीओ लखविद्र सिंह के साथ बात की तो उन्होंने बताया कि वह इस बारे में कुछ नहीं कर सकते क्योंकि सब कुछ मुख्य दफ्तर चंडीगढ़ से ही तय होता है। जब भाखड़ा नहर में पानी आ जाता है तो वे उस की बांट निर्धारित शेड्यूल के साथ कर देते हैं। इसके अलावा गर्मी के मौसम में जलघरों को पानी पहल के आधार पर सप्लाई किया जाता है जिससे लोगों को पीने वाले पानी की समस्या न आए।