40 वर्षीय मां और 22 बेटे ने साथ में पास की जेबीटी परीक्षा, पाए 85 फीसद अंक

डबवाली के सुंदर नगर में रहने वाले मां-बेटे ने एक साथ जेबीटी (जूनियर बेसिक टीचर) की परीक्षा पास की है। दोनों के 85 फीसद से ज्यादा अंक आए है। यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या कभी ऐसा हो सकता है। तो इसका जवाब है सुनीता देवी (40) तथा उसका बेटा नरपिद्र सिंह (22)। शुक्रवार शाम को जेबीटी का परिणाम आया तो दोनों खुश थे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 07:00 AM (IST)
40 वर्षीय मां और 22 बेटे ने साथ में पास की जेबीटी परीक्षा, पाए 85 फीसद अंक
40 वर्षीय मां और 22 बेटे ने साथ में पास की जेबीटी परीक्षा, पाए 85 फीसद अंक

डीडी गोयल, डबवाली

डबवाली के सुंदर नगर में रहने वाले मां-बेटे ने एक साथ जेबीटी (जूनियर बेसिक टीचर) की परीक्षा पास की है। दोनों के 85 फीसद से ज्यादा अंक आए है। यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या कभी ऐसा हो सकता है। तो इसका जवाब है सुनीता देवी (40) तथा उसका बेटा नरपिद्र सिंह (22)। शुक्रवार शाम को जेबीटी का परिणाम आया तो दोनों खुश थे। दरअसल, सुनीता राजस्थान के जिला हनुमानगढ़ के गांव कमरानी से संबंध रखती है। वर्ष 1998 में दसवीं करने के बाद उसकी शादी गांव अबूबशहर हाल सुंदर नगर निवासी सुरेंद्र सिंह के साथ हुई थी। वर्ष 2004 में सुरेंद्र का बतौर जेबीटी शिक्षक सिलेक्शन हुआ था। उनको मेवात में तैनाती मिली। कम उम्र में शादी हो गई, लेकिन पढऩे की ललक खत्म नहीं हुइ्र। सुनीता पढ़ना चाहती थी। ससुर हेड टीचर हरिकिशन ने उसे पढ़ाना शुरू किया, उसे बारहवीं करवाई। जेबीटी के लिए फार्म भरा। तैयारी न होने के कारण परीक्षा नहीं दे पाई। जेबीटी का सपना देखते-देखते करीब 20 साल बीत गए। वर्ष 2017 में पति मेवात से बदलकर गृह जिला सिरसा में आ गए तो उम्मीद पक्की हो गई। उम्मीद को सिरे चढ़ाया कोरोना के कारण लगे लाकडाउन ने। लाकडाउन में स्कूल बंद हुए तो सुरेंद्र ने बेटे नरपिद्र को जेबीटी की तैयारी करवानी शुरू की। बेटे को पढ़ता देख मां सुनीता से रहा नहीं गया। वह भी किताब लेकर बैठ जाती। दोनों ने एक साथ फार्म भरे और परीक्षा की तैयारी की। करीब दो माह पूर्व फतेहाबाद में परीक्षा केंद्र आया। एक साथ परीक्षा दी थी। ---- अब आगे क्या जेबीटी पास होने के बाद सुनीता के लिए पढ़ाई के दरवाजे खुल गए है। वह ग्रेजुएशन के साथ-साथ एचटेट, रीट की तैयारी करेगी। वहीं बेटा नरपिद्र कंपीटिटिव इग्जाम की तैयारी कर रहा है। उससे छोटी बेटी है किरणा। जो गांव बादल (पंजाब) स्थित कालेज से बीएससी कर रही है। वह तृतीय वर्ष में है। बच्चों को पढ़ता देखकर मां में पुन: पढऩे की ललक जागी है। वह जी भरकर पढऩा चाहती है। उनका कहना है कि जिदगी में पढ़ाई की हद नहीं है। इसलिए वह रुकना नहीं चाहती, सिर्फ पढऩा चाहती है। ---- मैं सुनीता को पढ़ाना चाहता था। घर से करीब 500 किलोमीटर दूर मेवात में तैनात होने के कारण यह सपना पूरा नहीं कर पा रहा था। गृह जिला सिरसा में तैनाती हुई तो सपने को साकार करने का अवसर मिला। मां-बेटे ने एक साथ जेबीटी परीक्षा पास की है। मैं तो यही कहूंगा कि यह आखिरी मंजिल नहीं है, सुनीता को आगे बढऩा है, पढऩा है। मैं खुद गांव डबवाली स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में तैनात हूं। -सुरेंद्र सिंह निवासी सुंदर नगर, डबवाली

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