किलोई में पानी का बवंडर देख ग्रामीण बोले, पहली बार देखी ऐसी घटना
किलोई में पानी का बवंडर देख ग्रामीण हैरत में है। जीवन में गांव में पहली बार ऐसी घटना देखी है जब पानी सैंकड़ों फीट ऊपर बादलों की ओर जाते दिखाई दिया है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : किलोई में पानी का बवंडर देख ग्रामीण हैरत में है। उनका कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में गांव में पहली बार ऐसी घटना देखी है, जब पानी सैंकड़ों फीट ऊपर बादलों की ओर जाते दिखाई दिया है। यह घटना किलोई स्थित प्राचीन शिव मंदिर के निकट खेतों में देखी गई है। ग्रामीणों में यह कोतूहल का विषय बनी हुई है। इसको लेकर मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक प्राकृतिक घटना है। जब तालाब, झील या जल से लबालब खेतों आदि के ऊपर हवा का कम दबाव बनता है तो इस प्रकार की घटनाएं कभी कभी देखने को मिल जाती हैं। पानी के इस बवंडर का समय अधिक नहीं होता है और यह लगभग 10-15 मिनट तक ही रहता है। यह केवल पानी वाले स्थानों के ऊपर ही बनता है। सूखी जगह पर आते ही यह समाप्त हो जाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रकार के पानी के बवंडर अमेरिका आदि में अधिक आते हैं और वे खतरनाक भी होते हैं। लेकिन यहां कभी कभी ही देखने को मिलते हैं। यह छोटे स्तर पर होने से खतरनाक नहीं होते हैं।
किलोई गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर कमेटी के प्रधान सोरभ अत्री के अलावा ग्रामीण अमित व बलवान आदि ने बताया कि शुक्रवार दोपहर के समय खेतों ग्रामीणों ने अद्भुत घटना देखी। उन्होंने खेतों में पानी को बवंडर के रूप में ऊपर बादलों की ओर उठते देखा। प्राचीन शिव मंदिर के पास यह घटना देखी गई है। करीब 15 मिनट तक यह घटना देखी गई। पानी का बवंडर करीब पांच एकड़ तक चलता गया और फिर सड़क आने पर समाप्त हो गया। इससे धान के पौधों व पेड़ों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि जीवन में ऐसी घटना पहली बार देखी गई है। घटना से सभी हैरान है और इसको लेकर अलग अलग कयास लगा रहे हैं।
वर्जन.
वाटरस्पॉट बनना एक प्राकृतिक घटना है। झील, तालाब या पानी से भरे खेतों आदि के आसपास जब कभी कम दबाव का क्षेत्र बनता है तो वहां पानी का बवंडर देखने को मिल जाता है। इसमें पानी ऊपर की ओर जाता है और कुछ समय बाद ही आसपास गिर भी जाता है। पानी का यह बवंडर कुछ दूरी पर चलकर यह समाप्त हो जाता है। इससे ज्यादा नुकसान नहीं होता है। भारत में इस तरह की घटना कम देखने को मिलती है। लेकिन अमेरिका आदि में यह बड़े स्तर पर आते हैं और खतरनाक भी होते हैं।
- महेश कुमार, मौसम विशेषज्ञ