फुर्तीला बनने के लिए दीपक पीते हैं सिर्फ देसी गाय का दूध, चर्बी बढ़ने से रोकने के लिए छह माह से नहीं खा रहे घी

अरुण शर्मा रोहतक टोक्यो ओलिपिक में शिरकत करने वाले खिलाड़ी खुद को फिट रखने के

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 04:35 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 04:35 PM (IST)
फुर्तीला बनने के लिए दीपक पीते हैं सिर्फ देसी गाय का दूध, चर्बी बढ़ने से रोकने के लिए छह माह से नहीं खा रहे घी
फुर्तीला बनने के लिए दीपक पीते हैं सिर्फ देसी गाय का दूध, चर्बी बढ़ने से रोकने के लिए छह माह से नहीं खा रहे घी

अरुण शर्मा, रोहतक :

टोक्यो ओलिपिक में शिरकत करने वाले खिलाड़ी खुद को फिट रखने के लिए खूब पसीना बहा रहे हैं। कई नुस्खे भी आजमा रहे हैं। छारा गांव (झज्जर) के पहलवान दीपक पूनिया बचपन से ही देसी गाय का दूध पीते हैं। पिता सुभाष की सोच है कि देसी गाय का दूध पीने से आलस्य नहीं रहता। शरीर फुर्तीला रहता है। 86 किग्रा भारवर्ग में ओलिपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले दीपक वजन बढ़ने से रोकने के लिए छह माह से घी का भी सेवन नहीं कर रहे। शाकाहारी होने के कारण हरी सब्जियों के सूप और दालों के पानी का ही नियमित सेवन करते हैं।

बुधवार को दैनिक जागरण के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए पहुंचे पहलवान दीपक के पिता सुभाष ने अपने अनुभव साझा किए। पिता सुभाष कहते हैं कि 18 बीघा खेती है। वर्षों पहले दूध बेचने का कार्य करते थे। खेलों में खुद आगे नहीं बढ़ सके, लेकिन बेटे को पहलवान बनाने का जुनून सवार हो गया। दूध बेचने का काम छोड़ा।महज पांच साल के दीपक को अपने दोस्त पीटीआइ वीरेंद्र के पास सुबह गांव के ही अखाड़े में भेजने लगे। ठीक चार साल तक तड़के जागकर बेटे को खुद ही अखाड़े में पहुंचाने जाते। शाम का भी यही रूटीन बन गया। चार साल के बाद बेटे ने पिता की आंखों में सपना पढ़ा और खुद मेहनत में जुट गया।

जब आठ दिन तक मां के हाथों के परांठे ही खाते रहे

शाकाहारी दीपक को बाहर का खाना पसंद नहीं। पिता सुभाष ने बताया कि कुछ साल पहले दीपक घर से गया तो मां कृष्णा से परांठे आठ-दस दिन के लिए बनवाकर ले गया। वही परांठे दही और अचार से खाते रहे। इस दौरान बाहर का खाना नहीं खाया। दीपक की मां का बीते साल निधन हो गया। अब पिता को यही चिता सताती है कि पहले मां साथ में नाश्ता रखती थी। अब मां नहीं इसलिए बाहर खाने और नाश्ता कैसे करता होगा।

इकलौते बेटे को पहलवान बनाया

सुभाष की दो बड़ी बेटियों मनीषा और पिकी की शादी हो चुकी है। इकलौते बेटे को पहलवान बनाने को लेकर कहा कि रिश्तेदार व गांव वाले कहते कि कोई दूसरा काम-धंधा करा दो। लेकिन पिता सुभाष ने किसी की नहीं सुनी। दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में भी बेटा रहा। डेढ़ साल पहले छत्रसाल में पहलवानी सिखाने वाले कोच वीरेंद्र आर्य ने नरेला में अखाड़ा खोल लिया है। तब से दीपक वहीं रहकर बारीकी सीख रहे हैं। यह भी कहा कि आर्थिक तंगी देखी। मगर बेटे को कभी अहसास नहीं होने दिया। यह भी कहा कि हमने बेटे की मेहनत और भगवान पर फैसला छोड़ रखा है। उम्मीद जताई कि बेटा मेडल जीतकर लाएगा।

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