रोहतक की जेएलएन नहर में आ रहा हजारों क्यूसेक पानी, फिर भी लोगों के कंठ प्यासे
जेएलएन नहर में चार दिनों से 2850 क्यूसेक पानी की आपूर्ति होने लगी है। फिर भी शहरी क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के हालात नहीं सुधरे हैं। अभी भी तमाम कालोनियों में पानी की कटौती है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : जेएलएन नहर में चार दिनों से 2850 क्यूसेक पानी की आपूर्ति होने लगी है। फिर भी शहरी क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के हालात नहीं सुधरे हैं। अभी भी तमाम कालोनियों में पानी की कटौती है। शहरी क्षेत्र की जनता परेशान है। हालांकि जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि पानी की कटौती किसी भी क्षेत्र में नहीं है। इनका यह भी कहना है कि जब भी पेयजल आपूर्ति होती है उस दौरान बिजली की कटौती हो जाती है। इस कारण कालोनियों में पेयजल आपूर्ति का संकट है।
वार्ड-6 के पार्षद सुरेश किराड़ ने बताया कि तेज कालोनी और खोखरा कोट में अभी भी पेयजल आपूर्ति एक ही वक्त हो रही है। इनका कहना है कि विभागीय अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि जलघरों को भरने में चार-पांच दिन तक लगते हैं। इसलिए एक-दो दिन में हालात सामान्य होंगे। इन्होंने पूरे प्रकरण में अधिकारियों से रविवार को भी संपर्क किया है।
दूसरी ओर, शहर के विकास नगर, प्रेम नगर, लक्ष्मी नगर के अलावा दूसरी कई कालोनियों में एक वक्त ही पानी की आपूर्ति हुई। जिन कालोनियों में पानी की आपूर्ति हुई वहां भी कटौती है। इससे स्थानीय लोगों में रोष है।
पांच दिन पहले तक नहरी पानी के टोटे का था बहाना
पार्षद सुरेश किराड़ ने बताया है कि जनस्वास्थ्य विभाग पांच दिन पहले तक नहरी पानी के टोटे का बहाना लगा रहा था। अधिकारियों का कहना था कि जेएलएन और भालौठ नहर से पानी की आपूर्ति ठप है। अब शहरी जनता जवाब मांग रही है कि हालात क्यों नहीं सुधर रहे। अधिकारियों से जवाब मांगा जा रहा है कि नहरी पानी को आए हुए पांच दिन हो गए। फिर भी शहरी क्षेत्र में किल्लत क्यों है। वर्जन
जेएलएन नहर की क्षमता 3200 क्यूसेक की है, फिलहाल 2850 क्यूसेक तक पानी की आपूर्ति हो रही है। इसलिए पानी की किल्लत तो नहीं होनी चाहिए।
रामनिवास, एक्सईएन, सिचाई विभाग
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अब कालोनियों में पानी की किल्लत नहीं है। कुछ कालोनियों में जब पेयजल आपूर्ति शुरू होती है वहां बिजली की कटौती की शिकायतें हैं। जलघर में भी बिजली की कटौती हुई। इसलिए भी समस्या हो सकती है।
भानु प्रकाश, एक्सईएन, जनस्वास्थ्य विभाग