सुस्त पड़े थाने में जान फूंकने में लगे हुए ये साहब
आजकल खाकी वर्दीधारी एक साहब खूब सुर्खियों में है।
शहरनामा :
जागरण संवाददाता, रोहतक : आजकल खाकी वर्दीधारी एक साहब खूब सुर्खियों में है। अरे-अरे यह मत सोचिएगा कि यह साहब गलत कामों की वजह से सुर्खियों में है। असल में यह इसलिए चर्चाओं में है कि सुस्त पड़े थाने में जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, शहर के बाहरी छोर पर बना एक थाना काफी दिनों से सुस्त था। अपराध पर लगाम कसने के लिए खाकी की तरफ से कोई गतिविधि भी नहीं दिखाई देती थी। हाल ही में थाने की जिम्मेदारी नए साहब को मिली है। जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही साहब पूरे एक्शन मोड़ में है। सबसे पहले उन्होंने बीपीएफ फ्लैटों पर बड़े स्तर पर छापेमारी कर अपनी कार्यशैली को दर्शा दिया। क्योंकि बीपीएल फ्लैट में अक्सर अनैतिक गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में रहते है। इसके बाद होटल संचालकों के पेंच टाइट कर दिए। सिघम स्टाइल में होटल संचालकों को हिदायत दे दी कि कोई भी अनैतिक गतिविधि होटलों में नहीं होने दी जाएगी। कई होटलों में भी छापेमारी कर दी। जिसके बाद से ही होटल संचालकों में बैचेनी बनी हुई है। यह साहब हर समय थाने में रहते हैं। यहां तक कि थाने के ही एक कमरे में रहना-खाना कर रहे हैं, जो हर गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। अब देखना है कि इन साहब की भागदौड़ से सुस्त पड़े थाने में जान आती है या फिर नहीं। हम हैं यहां के दबंग
अब खाकी वर्दीधारियों के दूसरे रूप को भी देखिए। जो खुद को दबंग मानकर बैठे हुए हैं। तीन दिन पहले की ही बात ले लीजिए। खाकी वर्दीधारियों की टीम एक मुहल्ले में किसी को पकड़ने के लिए जाती है। वहां पर टीम पर पथराव कर दिया जाता है। पुलिस पर ऐसे हमला करना गलत है, लेकिन कानून का पाठ पढ़ाने वाले पुलिसकर्मी शायद इस मामले में कानून को ही भूल गए। शनिवार शाम पूरा अमला उस मुहल्ले में पहुंचता है और बच्चा हो या बुजुर्ग, महिला हो या लड़की हर व्यक्ति पर अपनी भड़ास निकालते हुए लाठियां भांज दी। जिसमें कई लोग घायल हो गए। अब इस हरकत के बाद पुलिस और अपराधियों में क्या अंतर रह गया। पुलिस को कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए या फिर अपराधियों की तरह अपनी भड़ास निकालकर कानून तोड़ना चाहिए। यह चर्चा का विषय बना हुआ है।