दादी के साथ खेत में गई बच्ची की डूबने से मौत
-महम में दादी के साथ खेत में गई बच्ची की डूबने से मौत हो गई। करीब पांच घंटे तक पुलिस स्वजनों के साथ उसकी तलाश करती रही। बाद में उसका शव मिला। -खेत के कमरे से लगभग 24 एकड़
-करीब पांच घंटे तक पुलिस करती रही स्वजनों के साथ मशक्कत
-खेत के कमरे से लगभग 24 एकड़ दूर नाली में फंसा मिला बच्ची का शव
संवाद सहयोगी, महम(रोहतक) : दादी के साथ खेतों में गई तीन वर्षीय बच्ची की रजवाहे में डूबने से मौत हो गई। बच्ची की तलाश के लिए ग्रामीणों ने करीब पांच घंटे तक सर्च अभियान चलाया। इसके बाद खेत में बने कमरे से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर रजवाहे से बच्ची का शव बरामद हुआ है। पुलिस ने शव को कब्जे में लिया तथा उसे पोस्टमार्टम के लिए रोहतक भेज दिया।
महम के वार्ड 14 निवासी सोनू की मां राजबाला रविवार को सुबह आठ बजे अपनी पोती काव्या को साथ लेकर खेत में पशुओं के लिए चारा लेने के लिए गई थी। काव्या की मां एक दिन पहले ही एक वर्षीय बेटे को साथ लेकर मायके गई थी। जबकि बेटी काव्या दादी के पास ही घर पर रह गई थी। बच्ची को संभालने वाला कोई घर पर नहीं था तो राजबाला उसे अपने साथ ही खेत में ले गई। खेत में पहुंचने के बाद राजबाला ने काव्या को खेत में बने कमरे में बैठाकर उसे मोबाइल पर गेम लगाकर दे दी तथा उसके पास खाने के लिए घेवर व पानी रख दिया। उसके बाद चारा लेने के लिए कमरे से कुछ दूरी पर चली गई। उस समय हल्की बूंदाबांदी थी। दादी करीब 15 मिनट में ही चारा लेकर कमरे के पास आई तो उसे काव्या नहीं मिली। उसने तथा खेतों में काम कर रहे आसपास के लोगों ने काव्या को करीब एक घंटे तक ढूंढा। जब बच्ची नहीं मिली तो राजबाला ने परिवार के अन्य लोगों को सूचना दी। कुछ समय बाद ही पुलिस को सूचित कर दिया गया। एसएचओ शमशेर सिंह, पीसीआर इंचार्ज तेजा सिंह व अन्य पुलिस कर्मी तुरंत मौके पर पहुंच चुके थे।
पांच घंटे तक तलाशते रहे पुलिस व स्वजन
पुलिस कर्मी व स्वजन करीब पांच घंटे तक खेत के आसपास खड़ी ईंख व नालियों में काव्या को ढूंढते रहे। बारिश रुकने के बाद पानी निकलने पर काव्या के पैरों के निशान दिखे। सर्च अभियान के दौरान 30 से 40 युवा इधर से उधर ढूंढते रहे। आखिरकार काव्या खेत में बने कमरे से लगभग 24 एकड़ दूर रजबाहे की नाली में फंसी मिली।
कमरे में छोड़ते ही निकल चुकी थी काव्या
अनुमान लगाया जा रहा है कि दादी के छोड़ते ही काव्या फोन को वहीं छोड़कर खेतों के रास्ते चलती रही। तीन साल की बच्ची ने ईंख के खेत को कैसे पार किया होगा। नालियों से कैसी गुजरी होगी, रजबाहे पर जहां युवा भी बड़ी मेहनत के बाद चढ़ पाता है, वह कैसे चढ़ी होगी, ये सवाल वो छोड़ गई है।