वैदिक गुरुकुल का हुआ शुभारंभ, विज्ञान के साथ ही मिलेगा ज्योतिष का ज्ञान

सत जीन्दा कल्याणा आश्रम में जमुना दास वैदिक गुरुकुलम का उद्घाटन किया गया। इस गुरुकुल के माध्यम से वैदिक संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन करना है। उद्घाटन कार्यक्रम का शुभारंभ देवी-देवताओं के पूजन के साथ हुआ। इस दौरान वेद पाठियों ने मंत्रों का मांगलिक उच्चारण किया। महंत खुशहाल दास महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में व्याप्त नैतिक गिरावट को दूर करने के लिए इस प्रकार के गुरुकुलों की अत्यंत आवश्यकता है। इस गुरुकुल में विद्यार्थियों को सदाचारी संस्कारी और राष्ट्र व समाज के लिए आदर्श नागरिक बनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 05:34 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 05:34 AM (IST)
वैदिक गुरुकुल का हुआ शुभारंभ, विज्ञान के साथ ही मिलेगा ज्योतिष का ज्ञान
वैदिक गुरुकुल का हुआ शुभारंभ, विज्ञान के साथ ही मिलेगा ज्योतिष का ज्ञान

संवाद सहयोगी, कलानौर : सत जीन्दा कल्याणा आश्रम में जमुना दास वैदिक गुरुकुलम का उद्घाटन किया गया। इस गुरुकुल के माध्यम से वैदिक संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन करना है। उद्घाटन कार्यक्रम का शुभारंभ देवी-देवताओं के पूजन के साथ हुआ। इस दौरान वेद पाठियों ने मंत्रों का मांगलिक उच्चारण किया। महंत खुशहाल दास महाराज ने कहा कि वर्तमान समय में व्याप्त नैतिक गिरावट को दूर करने के लिए इस प्रकार के गुरुकुलों की अत्यंत आवश्यकता है। इस गुरुकुल में विद्यार्थियों को सदाचारी, संस्कारी और राष्ट्र व समाज के लिए आदर्श नागरिक बनाया जाएगा। महंत खुशहाल दास ने यह भी बताया कि इस गुरुकुल के संचालन का जिम्मा आचार्य प्रणव को सौंपा गया है। यह भी कहा कि इस गुरुकुल के माध्यम से हम दोबारा से वेद की ज्योति को दोबारा से प्रज्ज्वलित किया जाएगा। यहां ब्रह्मचारियों को रहने से लेकर पढ़ाई की मुफ्त व्यवस्था रहेगी। ट्रस्ट के सचिव आनंद अरोड़ा एवं सदस्य प्रवीन जुनेजा ने बताया कि यहां वैदिक परंपरा का निर्वहन किया जाएगा। समय-समय पर बनारस विश्वविद्यालय के अलावा मथुरा, हरिद्वार व अन्य वैदिक गुरुकुलों के विशेषज्ञों को शिक्षण के लिए बुलाया जाएगा। यहां शास्त्री, आचार्य से लेकर भविष्य में पीएचडी तक की पढ़ाई होगी। विज्ञान के साथ ही वैदिक ज्ञान भी मिलेगा। यह भी कहा कि हमारा दूसरा मकसद यह है कि लुप्त होती परंपरा को नए सिरे से जिदा करना। कार्यक्रम का संचालन ज्योतिषाचार्य पंडित विजय वशिष्ठ ने किया। इस दौरान महंत ईश्वर शाह, महंत हरपाल, सति सांईदास से रघुनंदन, अरविद स्वामी, बाबा भगत सिंह से माता कुलवंत कौर, जितेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

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