जज्‍बा : रोहतक में स्टाफ नर्स 14 माह से महामारी में कर रहीं सेवा, खुद संक्रमित हुई तभी ली छुट्टी

रोहतक पीजीआई में स्‍टाफ नर्स ने कहा कि हमारे सामने लोगों की मौत हो रही है। बुजुर्ग अधेड़ यहां तक की हट्टे-कट्टे युवा दम तोड़ रहे हैं। हमें मरीजों की सेवा उनकी जान बचाने का भरकस प्रयास कर रहे हैं।

By Edited By: Publish:Wed, 12 May 2021 08:12 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 08:12 AM (IST)
जज्‍बा : रोहतक में स्टाफ नर्स 14 माह से महामारी में कर रहीं सेवा, खुद संक्रमित हुई तभी ली छुट्टी
रोहतक पीजीआई में कार्यरत स्‍टाफ नर्स सुमन रांगी ने कोरोना काल में दिन रात सेवा कर मिसाल पेश की है

रोहतक [केएस मोबिन] हमारे सामने लोगों की मौत हो रही है। बुजुर्ग, अधेड़ यहां तक की हट्टे-कट्टे युवा दम तोड़ रहे हैं। हमें मरीजों की सेवा, उनकी जान बचाने का भरकस प्रयास का प्रशिक्षण दिया जाता है। जब तड़पता मरीज आसपास देखकर जीने की आस बांध लेता है तब खुद का जीवन गौण लगने लगता है। उस पल में सारी ऊर्जा मरीज की सांसों को लौटाने में लगा देते हैं। मरीज के ठीक होने पर स्वजनों के चेहरे का सुकून आंखें तक को नम कर जाता है। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की स्टाफ नर्स सुमन रांगी, यह बताते हुए भावुक हो जाती हैं। महामारी में अपनी सहयोगी नर्सेज के योगदान को बार-बार दोहराती हैं, कैसे किसी ने अपनों को खो दिया, किसी को महीनों स्वजनों से मिले हो गया है, किसी का बेटा संक्रमित हुआ लेकिन ड्यूटी देती रहीं।

सुमन रांगी, पीजीआइएमएस में इंफेक्शन कंट्रोल टीम की सदस्य हैं, पिछले 14 माह से कोविड ड्यूटी कर रही हैं। महामारी की दूसरी लहर में खुद भी संक्रमित हो गई हैं। पति मनोज पीजीआइएमएस में ही लैब टेक्निशियन हैं। चार मई को पति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। पांच मई को 11 वर्ष के बटे की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आने पर झटका लगा। खुद भी वायरस की चपेट में आ गई। तीनों सदस्य घर में अलग-अलग कमरों में आइसोलेशन में रह रहे हैं। बेटे की देखभाल के लिए उसके कमरे में मां बीच-बीच में जाती रहती हैं।

पति-बेटे की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी ड्यूटी पर जाती रहीं। जब खुद संक्रमित हुई तब छुट्टी की। सुमन बताती हैं कि उन्होंने और पति ने वैक्सीन पहले ही लगवा रखी है। लेकिन, बेटे की फिक्र रहती है। बड़ा बेटा रोहन नवंबर 2019 से नर्सिंग की ग्रेजुएट डिग्री के लिए ऑस्ट्रेलिया गया था, महामारी की वजह से अभी तक नहीं लौट पाया है। बड़े बेटे ने मां से प्रेरित होकर ही नर्सिंग की डिग्री में दाखिला लिया है।

सहकर्मियों का जज्बा यादकर हुई भावुक

सुमन रांगी, बातचीत करते हुए कई बार भावुक हो गई। अपनी एक सहकर्मी के बारे में बताते हुए उनका गला भर आया। उन्होंने बताया कि साथी स्टाफ नर्स की सास की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई थी। घर पर उनकी देखभाल के साथ ही अस्पताल में ड्यूटी भी दे रही थी। सास की स्थिति गंभीर होने पर पीजीआइएमएस में भर्ती कराया। लेकिन वह चल बसी। सास के संस्कार के दो दिन बाद ड्यूटी ज्वाइन की। एक अन्य सहकर्मी का बेटा संक्रमित हो गया था, महज दो दिन का अवकाश ही मिल पाया।

घर से भी कर रहीं अस्पताल के कई काम

महामारी की शुरूआत से ही स्टाफ नर्सेज ने अहम भूमिका निभाई है। वर्कलोड कई गुणा तक बढ़ गया, अवकाश रद हो गए। मानसिक तौर पर भी थकान महसूस हो रही हैं। सुमन बताती हैं कि इंफेक्शन कंट्रोल टीम की सदस्य होने के नाते महामारी के दौर में उनके वर्किंग आवर्स तय नहीं है। हर वक्त आपात स्थिति है। कई बार तो रातोंरात साइट के निरीक्षण के लिए जाना पड़ता है। घर से भी अस्पताल के कई काम कर रहीं हैं। रोजाना काम के सिलसिले में कॉल आते हैं। जबकि, ड्यूटी के दौरान व्यस्तता के चलते घरवालों के फोन तक नहीं उठा पाती थी।

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