प्रदेश के अस्पतालों में खाली पड़े हैं स्पेशलिस्ट के पद
कोविड की तीसरी संभावित लहर के बावजूद प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं। प्रदेश के दस जिलों में तो मेडिसिन के चिकित्सक तक नहीं हैं। वहीं सात जिले ऐसे हैं जहां पर छाती टीबी और त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : कोविड की तीसरी संभावित लहर के बावजूद प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्पेशलिस्ट के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं। प्रदेश के दस जिलों में तो मेडिसिन के चिकित्सक तक नहीं हैं। वहीं, सात जिले ऐसे हैं, जहां पर छाती, टीबी और त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं है। स्पेशलिस्ट कैड के अनुसार प्रदेश में इस समय 1978 स्पेशलिस्ट की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में 669 ही कार्यरत हैं। वर्तमान में 1308 चिकित्सकों के पद खाली हैं। ऐसे हालात के कारण एचसीएमएसए ने प्रदेश सरकार के सामने तीन मांगें रखते हुए 13 दिसंबर से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। एचसीएमएसए के प्रदेशाध्यक्ष डा. जसबीर परमार के अनुसार उन्होंने मांगों को पूरा करने के लिए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है। अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो वे 14 दिसंबर से सेवाएं पूरी तरह बंद कर देंगे। जिसमें ओपीडी के साथ-साथ पोस्टमार्टम और आपात विभाग भी शामिल है।
ऐसे हैं प्रदेश में स्पेशलिस्ट के हालात
प्रदेश के 13 जिलों में एक भी रेडियोलाजिस्ट, 11 जिलो में एक भी बायोकैमिस्ट्री, दस जिलों में एक भी मेडिसिन, नौ जिलो में एक भी फोरिसंक, सात जिलों में चेस्ट एंडी टीबी व त्वचा रोग विशेषज्ञ, छह जिलों में मनोरोग, तीन जिलो में इएनटी विशेषज्ञ, दो जिलो में गायनी, हड्डी रोग और बच्चों के चिकित्सक, एक जिले में एनीस्थिसिया, पैथोलाजी व एक भी सर्जन नहीं है।
कितने कम हैं स्पेशलिस्ट
विशेषज्ञ जरूरत उपलब्ध खाली
एनीस्थिसिया 291 94 197
बायोकैमिस्ट्री 50 23 27
इएनटी 52 39 13
फोरेंसिक 31 18 13
मेडिसिन 261 32 229
चेस्ट एंड टीबी 32 24 08
गायनी 292 64 228
आई 119 69 50
आर्थो 115 62 53
पीडियाट्रिक 259 48 211
पैथोलाजी 52 62 -10
मनोरोग 49 22 27
रेडियोलाजी 33 14 19
स्किन 50 20 30
सर्जरी 260 51 209
माइक्रोबायोलाजी 32 27 05
कुल 1978 669 1309
एचसीएमएसए की तीन मुख्य मांगें
प्रदेश में स्पेशलिस्ट कैडर बनाया जाए, जिससे यहां पर चिकित्सकों का रुझान बढ़ेगा। एचसीएमएस में स्पेशलिस्ट की भारी कमी है। कई विशेषज्ञ ऐसी स्थितियों के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं। पीजी पालिसी में कुछ बदलाव किया जाए। पहले पीजी करने के लिए इन-सर्विस उम्मीदवारों को 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत, 30 प्रतिशत प्रोत्साहन मिलता था, वो फिर से लागू किया जाए। इससे पीजी कोर्स करने वाले इन-सर्विस डाक्टरों की संख्या में वृद्धि होगी और विभाग को अधिक विशेषज्ञ मिलेंगे। सीधी एसएमओ की भर्ती रोकी जा सकती है। वर्तमान में 95 प्रतिशत पदों पर पूरी सेवा के दौरान केवल एक पदोन्नति का मार्ग है।