ताकि घर पर हो चिड़ियों का चहकता आशियाना

रतन चंदेल रोहतक कोरोना महामारी से बचाव के लिए लोगों ने लाकडाउन के दौरान घरों में रहकर सरकारी आदेशों का पालन किया है। वहीं शांत वातारण होने के चलते घरों में चिड़ियों चहचहाहट भी इस दौरान बढ़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 08:43 AM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 08:43 AM (IST)
ताकि घर पर हो चिड़ियों का चहकता आशियाना
ताकि घर पर हो चिड़ियों का चहकता आशियाना

रतन चंदेल, रोहतक :

कोरोना महामारी से बचाव के लिए लोगों ने लाकडाउन के दौरान घरों में रहकर सरकारी आदेशों का पालन किया है। वहीं, शांत वातारण होने के चलते घरों में चिड़ियों चहचहाहट भी इस दौरान बढ़ी है। कुछ लोगों ने इसे नजअंदाज किया हो लेकिन रोहतक के एक कालेज के पूर्व प्राचार्य ऐसे हैं जिन्होंने घरों में चिड़ियों की हिफाजत के लिए न केवल नया विचार अपनाया है बल्कि उसको हकीकत भी बनाया है। यहां हम बात कर रहे हैं पंडित नेकीराम कालेज रोहतक के पूर्व प्राचार्य डा. वेद प्रकाश श्योराण की। जो चिड़ियों के लिए इन दिनों अपने जानकारों को निश्शुल्क घोंसले तक भेंट कर रहे हैं। साथ ही अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। ताकि घर पर चिडियों का चहकता आशियाना हो सके।

लाकडाउन के दौरान लोगों के जीवन में काफी बदलाव देखने को मिले हैं। पहले जहां लोग जिदगी की भागदौड़ में लगे रहते थे वहीं अब लोगों का रुझान पशु पक्षियों की सेवा के प्रति बढ़ा है।

अनेक लोगों की मानवीय संवेदनाएं बढ़ी है। जिसके चलते अनेक लोगों ने अपने घरों में चिड़ियों के लिए घोंसले खरीद कर लगाए हैं और यह सिलसिला बढ़ता जा रहा है। रोहतक के सेक्टर-14 निवासी डा. वेद प्रकाश के मुताबिक उन्होंने अब तक अनेक घोंसले जानकारों को दिए हैं जबकि अनेक लोगों को घोंसले घर-आंगन में लगाने के लिए प्रेरित भी किया है। उन्होंने कहा कि लोगों की मांग के अनुसार घोंसले और मंगाए जाएंगे। उनका मकसद सिर्फ इतना कि घर में चिड़ियों का भी घरोंदा हो। घर में चिड़ियों की चहचहाहट सुनकर बहुत अच्छा महसूस होता है। यूं आया आइडिया :

दरअसल, छह मई को एक दिन उन्होंने घर में कार की छत पर अनेक तिनके देखे। ऊपर देखा तो चिड़िया चहक रही थी। तभी उनके मन में चिड़ियों के लिए भी घर में एक आशियाना बनाने का आइडिया आया। उन्होंने इंटरनेट मीडिया की मदद से घोंसले बनाने वाले से संपर्क किया। तब उन्होंने तोशाम से घोंसले मंगाए और अपने घर में ही चिड़ियों के लिए भी आशियाना बनाया।

उन्होंने सोशल मीडिया पर यह पोस्ट डाली तो जानकार भी प्रभावित हुए और घोंसलों की मांग की। तब उन्होंने उनको भी घोंसले मुहैया कराए। दादी से मिली थी प्रेरणा :

डा. श्योराण बताते हैं की उनका पैतृक गांव दादरी जिला का ऊण गांव है। जहां उनकी दादी पक्षियों को दाना डालने अकसर जाती थी। उस समय कभी कभी वे भी दादी बदामो के साथ जाते थे। जब वह तालाब के पास जाकर पक्षियों के लिए दाना डालती तो अनेक चिड़िया व अन्य पक्षी वहां आ जाते हैं। उन्हीं को देखकर उनको पक्षियों के लिए दाना डालने की प्रेरणा मिली। तभी से वह पक्षियों के लिए दाना डालते हैं। सामाजिक संस्थाओं का सहयोग जरूरी :

हालांकि डा. वेद प्रकाश इस कार्य में अकेले ही लगे हुए हैं। लेकिन पक्षी प्रेमियों का कहना है कि इस कार्य में सामाजिक संस्थाओं का सहयोग भी हो तो परिणाम और बेहतर आ सकते हैं। कोरोना काल में पशु पक्षियों खासकर चिड़ियों के प्रति लोगों की संवेदनाएं बढ़ी है। भीषण गर्मी में सामाजिक संस्थाओं को भी सहयोग के लिए आगे आकर चिड़ियों व अन्य पक्षियों के लिए आशियानों का प्रबंध करना चाहिए।

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