दो साल बाद जारी हुए छह डेथ सर्टिफिकेट, 11 अब भी पेंडिग
जागरण संवाददाता रोहतक सेवा का अधिकार आयोग ने पूर्व निदेशक की ओर से गलत रिपोर्ट बतान
जागरण संवाददाता, रोहतक : सेवा का अधिकार आयोग ने पूर्व निदेशक की ओर से गलत रिपोर्ट बताने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उनसे जवाब तलबी की है। पीजीआइ के पांच चिकित्सकों से भी नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा है। जांच में सामने आया है कि 17 लोगों को डेथ सर्टिफिकेट के लिए दो साल से परेशान किया जा रहा था। इनमें से छह लोगों को तो आयोग के संज्ञान पर डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया। लेकिन 11 लोगों को अब भी परेशान किया जा रहा है।
पांच चिकित्सकों पर लग सकता है जुर्माना
डेथ सर्टिफिकेट के लिए लापरवाह पाए गए पीजीआइ के पांच चिकित्सकों के खिलाफ 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। इन चिकित्सकों में डा. अजय, अंजलि, पेमा, साक्षी और अमरनाथ शामिल हैं। आयोग ने इन डाक्टरों की मेल आइडी और मोबाइल नंबर भी मांगे हैं ताकि उन्हें व्यक्तिगत रूप से नोटिस जारी किया जा सके।
लंबित 125 मामलों की मांगी थी जानकारी
24 अक्टूबर को भेजी रिपोर्ट में पीजीआइ निदेशक की ओर बताया गया है कि मृत्यु से संबंधित जिन 125 फाइलों के पंजीकरण में देरी हुई, उनमें से 107 फाइलें कोविड-19 अवधि की हैं, जब इस महामारी के कारण असामान्य परिस्थितियां थीं। गैर कोविड अवधि के 18 मामलों में से ज्यादातर 2019 के हैं। जुलाई, 2019 में हुई मृत्यु के तीन मामलों में आज तक भी मृत्यु प्रमाण पत्र आज भी जारी नहीं किया गया है। इनके बारे में केवल यह उल्लेख किया गया है कि मामला उपायुक्त कार्यालय या सिविल सर्जन कार्यालय को भेजा गया है लेकिन निदेशक इन कार्यालयों में से किसी को भी मामला भेजे जाने की तारीखें बताने में विफल रहे हैं।
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आयोग की सचिव मीनाक्षी राज ने कहा कि इस केस में जिन-जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही पाई जाएगी। उन सभी को आयोग की ओर से नोटिस दिया जाएगा। क्योंकि यह जीवित व्यक्तियों में मानवीय संवेदनाओं के मृत होने का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने बताया कि आयोग ने इन फाइलों को लंबित रखने के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार जिन डाक्टरों के खिलाफ संज्ञान नोटिस जारी किया है।