जुर्म व झूठ पर सच्चाई की विजय की कहानी है सेलिग अगेंस्ट दा विड : शर्मा

- बाबा मस्तनाथ नगर स्थित एक बैंक्वेट हाल में सेलिंग अगेंस्ट दा विंड पुस्तक का विमोचन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:21 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:21 AM (IST)
जुर्म व झूठ पर सच्चाई की विजय की कहानी है सेलिग अगेंस्ट दा विड : शर्मा
जुर्म व झूठ पर सच्चाई की विजय की कहानी है सेलिग अगेंस्ट दा विड : शर्मा

- बाबा मस्तनाथ नगर स्थित एक बैंक्वेट हाल में हुआ पुस्तक का विमोचन

जागरण संवाददाता, रोहतक : बाबा मस्तनाथ नगर स्थित एक बैंक्वेट हाल में रविवार को पुस्तक का विमोचन किया गया। समाजसेवी उद्योगपति राजकुमार शर्मा की लिखी इस पुस्तिक सेलिग एगेंसट दा विड का विमोचन शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने किया। सेलिग अगेंस्ट दा विड पुस्तक जुर्म व झूठ पर सच्चाई की विजय की कहानी है। मीडिया प्रभारी राजीव जैन ने बताया कि पुस्तक का विमोचन पुस्तक के लेखक उद्योगपति राजकुमार शर्मा व उनकी पत्नी उमा शर्मा, रोहतक के विधायक भारत भूषण बत्तरा, नगर निगम के मेयर मनमोहन गोयल, पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर, स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ अनिल बिरला, समाजसेवी उद्योगपति राजेश जैन, रोहतक के एसडीएम राकेश कुमार, भाजपा के जिला अध्यक्ष अजय बंसल, राजकुमार सिंहल, नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर राजकुमार सहगल, जगमोहन मोटर्स के एमडी जगमोहन मित्तल, सुभाष आहुजा, ललित जैन, विजय जैन, कर्ण राज शर्मा, शेखर राज शर्मा एडवोकेट, रवि गुगनानी, प्रतिभा सुमन, धर्मपाल मकड़ौली, सुधीर जैन एवं परिवार के सदस्यों ने किया। सेलिग एगेंसट दा विड पुस्तक उनका पहला प्रयास है। जिसमें उनके परिवार, दोस्तों व अनेक लोगों का सहयोग रहा। कोविड के समय में उन्होंने कुछ नया करने की सोची और इस पुस्तक को पूरा किया। इस अवसर पर परिवार के सदस्य, सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी व शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

ये है पुस्तक में कहानी

पुस्तक के लेखक शर्मा ने बताया यह एक कहानी है भोला, एक ऐसे नौजवान की जो उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में पैदा हुआ। कहानी आजादी से कुछ ही साल के बाद की है। कैसे नौजवान भोला लखनऊ बड़े शहर में पहुंचा। वहां पर उच्च शिक्षा ग्रहण की। धोखेबाज लोगों ने उसे फंसाकर मुंबई भेजा। वहां पर किस तरह वह मुंबई के गुंडों के गिरोह में फंस गया। कैसे वह उनके चुंगल से निकला, कहानी में रोमांस है, राजनेताओं की चालें हैं। कैसे राजनेताओं ने अफसरशाही से मिलकर जुर्म की दुनिया में अपने पैर पसारे, कैसे ठीक सोच व ठीक लोगों की मदद से सब मुश्किलों से बाहर निकला। यह जुर्म व झूठ पर सच्चाई की विजय की कहानी है।

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