तीसरी लहर में बच्चों में पोस्ट कोविड एमआइएस-सी का खतरा

बहादुरगढ़ के छह साल के बच्चे को मृत समझ स्वजन घर ले जाकर अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे उसमें हलचल होने पर चिकित्सकों ने स्वस्थ कर दिया था। उस बच्चे में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमटरी सिड्रोम इन चिल्ड्रन यानी एमआइएस-सी की बीमारी थी। यह बीमारी पोस्ट कोविड के बाद बच्चों में सामने आ रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 08:28 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 08:28 AM (IST)
तीसरी लहर में बच्चों में पोस्ट कोविड एमआइएस-सी का खतरा
तीसरी लहर में बच्चों में पोस्ट कोविड एमआइएस-सी का खतरा

ओपी वशिष्ठ, रोहतक :

बहादुरगढ़ के छह साल के बच्चे को मृत समझ स्वजन घर ले जाकर अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, उसमें हलचल होने पर चिकित्सकों ने स्वस्थ कर दिया था। उस बच्चे में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमटरी सिड्रोम इन चिल्ड्रन यानी एमआइएस-सी की बीमारी थी। यह बीमारी पोस्ट कोविड के बाद बच्चों में सामने आ रही हैं। इस बीमारी से कोरोना वायरस इम्युनिटी सिस्टम से छेड़छाड़ कर शरीर को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, जिससे महत्वपूर्ण अंग फेफड़े, दिल, किडनी, लीवर और ब्रेन पर असर पड़ता है। इस बच्चे के भी लगभग सभी अंग डैमेज कर दिए थे, जिसकी चिकित्सक आधुनिक मेडिकल तकनीकी, सही इलाज और दवाओं के मिश्रण से रिकवरी करवाने में सफल रहे थे। संभावित तीसरी लहर में इस तरह के केस आने की आशंका जताई जा रही है। यह था मामला

बहादुरगढ़ के छह वर्षीय कुनाल का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा था। बीती 26 मई को चिकित्सकों ने स्वजनों को बच्चे के बचने की संभावना कम बताई। बच्चा भी एक तरह से मृत हो चुका था। स्वजनों को लगा कि बच्चा मर चुका है। इसलिए वे उसे अपने घर ले गए और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन इसी बीच बच्चे में कुछ हरकत हुई तो उसे बहादुरगढ़ के निजी अस्पताल ले गए, यहां से रोहतक के कायनोस अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां करीब एक सप्ताह में बच्चे को पूरी तरह से स्वस्थ कर दिया गया। स्वजन इसे चमत्कार मान रहे हैं, लेकिन यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि मेडिकल साइंस की आधुनिक तकनीक और बेहतर इलाज का कमाल था, जिससे बच्चे की रिकवरी हुई, क्योंकि बच्चा मरा नहीं था। एमआइएस-सी से ग्रस्त था बच्चा

कायनोस अस्पताल के डायरेक्टर डा. अरविद दहिया से जब इस चमत्कार के बारे में चर्चा की थी तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। डा. दहिया ने बताया कि बच्चा मरा नहीं था बल्कि एमआइएस-सी यानी मल्टी सिस्टम इंफ्लेमटरी सिड्रोम इन चिल्ड्रन से ग्रस्त था, जिसके कारण उसके पांच से छह अंग क्षतिग्रस्त हो गए थे और बचने की संभावना न के बराबर थी। अगर आधा घंटा देरी हो जाती तो उसको बचा पाना संभव नहीं था। मेडिकल साइंस में मेन पावर, मशीन और मैथेड चलता है, अगर इसका सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए तो मरीज को बचाया जा सकता है। हमने इसका इस्तेमाल किया और बच्चे को बचा लिया। अस्पताल में यह कोई पहला केस नहीं था, इस तरह के सात से आठ केस पहले भी हा चुके हैं, जिनको वेंटिलेटर इंचार्ज डा. अरविद दहिया, पीड्रियाटिक डा. वरुण नरवाल, डा. अमित सैनी और डा. शिखा की टीम स्वस्थ कर घर भेजी चुकी हैं।

क्या होता है एमआइएस-सी

कोविड संक्रमण के दो से चार सप्ताह के बाद एमआइएस-सी होता है। कुछ लोगों में वायरस इम्युन सिस्टम से इस प्रकार असर करता है कि इम्युन सिस्टम अपने ही शरीर पर आक्रमण कर देता है और अंगों को क्षति पहुंचाता है। एमआइएस-सी मुख्य रूप से दो से छह अंगों पर असर करता है। समय पर इलाज ना मिलने पर एमआइएस-सी बच्चे के लिए जानलेवा साबित होता है। बहादुरगढ़ के बच्चे कुनाल में भी एमआइएस-सी था। जब उसकी एंटीबाडी टेस्ट की तो सामने आया कि दो से चार सप्ताह पहले उसे कोविड हुआ था। लेकिन स्वजनों ने उसे बुखार व टाइफाइड मान लिया होगा।

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