पीजीआइएमएस में थैलेसिमिया के मरीजों के लिए सिरम फेरिटिन टेस्ट होगा शुरू, अन्य प्रदेशों में नहीं भटकना पड़ेगा

पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआइएमएस) में आने वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। थैलेसिमिया मरीजों की जांच के लिए सिरम फेरिटिन टेस्ट शुरू किया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 08:57 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 08:57 AM (IST)
पीजीआइएमएस में थैलेसिमिया के मरीजों के लिए सिरम फेरिटिन टेस्ट होगा शुरू, अन्य प्रदेशों में नहीं भटकना पड़ेगा
पीजीआइएमएस में थैलेसिमिया के मरीजों के लिए सिरम फेरिटिन टेस्ट होगा शुरू, अन्य प्रदेशों में नहीं भटकना पड़ेगा

जागरण संवाददाता, रोहतक :पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआइएमएस) में आने वाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। थैलेसिमिया मरीजों की जांच के लिए सिरम फेरिटिन टेस्ट शुरू किया जाएगा। थैलेसिमिया के मरीजों को यह हर तीन से चार माह बाद कराने की जरूरत पड़ती है। पीजीआइएमएस में यह टेस्ट शुरू हो जाने से मरीजों को अन्य प्रदेशों में भटकना नहीं पड़ेगा। शिशु रोग विभाग की प्रोफेसर डा. अलका यादव ने बताया कि थैलेसिमिया एक अनुवांशिक बीमारी है। इस की वजह से शरीर में खून की कमी हो जाती है। एक स्वस्थ व्यक्ति में लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिनों तक रहती हैं, लेकिन थैलेसीमिया के रोगियों में यह कोशिकाएं सिर्फ 15 से 20 दिनों में समाप्त हो जाती हैं।

आठ मई को पूरे विश्व में थैलेसिमिया दिवस मनाया जाता है, इस बार कोविड-19 की वजह से पीजीआइएमएस में कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं कराया जा रहा। थैलेसिमिया मरीज में कुछ ही दिनों के अंतराल में खून चढ़ाना पड़ता है। डा. अलका बताती हैं कि थैलेसिमिया के लक्षणों में खून कम होना, वजन ना बढ़ना, थकान और कमजोरी रहना, शरीर का विकास ना होना, शरीर पीला पड़ जाना, सांस लेने में दिक्कत, असामान्य दिखना आदि शामिल है। यदि समय रहते इलाज न कराया जाए तो मरीज की जान को जोखिम हो सकता है। डा. अलका का कहना है कि बचाव के लिए थैलेसिमिया की पहचान सबसे जरूरी है। यह बच्चे के जन्म के समय से ही शुरू हो जाता है। करीब तीन से चार माह बाद बच्चे को लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। ऐसे बच्चे को अतिरिक्त खून चढ़ाना पड़ता है। जिसकी वजह से शरीर में कई बार लोह तत्वों की मात्रा अधिक होने पर भी जान का जोखिम हो जाता है। शादी से पहले लड़का-लड़की रक्त की जांच कराएं

डा. अलका ने कहा कि शादी से पहले लड़का व लड़की को रक्त की जांच करानी चाहए।ि गर्भावस्था के दौरान भी जांच कराएं, हीमोग्लोबिन का स्तर 10 से 11 ग्राम के बीच रखें। समय पर दवाइयां ले इलाज पूरा कराने से बचाव होता है। कोविड-18 के चलते रक्त की कमी हो रही है। थैलेसिमिया के मरीजों को परेशानी भी हो रही है। स्वैच्छिक रक्तदाताओं को ऐसे मरीजों के लिए आगे आना चाहिए तिल्ली का ऑपरेशन करा चुके मरीज लगवाएं कोरोना वैक्सीन

डा. अलका का कहना है कि जिन मरीजों का तिल्ली का ऑपरेशन हुआ है, उन्हें कोविड-19 का खतरा अधिक है। आमजन की भांति उन्हें भी कोरोना वैक्सीन लगवानी चाहिए। ऐसे मरीजों को खान-पान की विशेष सावधानी रखनी होती है और अपने लौह तत्व की मात्रा कंट्रोल में रखने के लिए समय पर दवाई लेते रहें।

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