अ¨हसा के विकास के लिए साधना की जरूरत : साध्वी कंचन

जागरण संवाददाता, रोहतक : ग्रीन रोड स्थित तेरापंथ भवन में चल रहे पर्युषण महापर्व के पांचवे ि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 05:06 PM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 05:06 PM (IST)
अ¨हसा के विकास के लिए साधना की जरूरत : साध्वी कंचन
अ¨हसा के विकास के लिए साधना की जरूरत : साध्वी कंचन

जागरण संवाददाता, रोहतक : ग्रीन रोड स्थित तेरापंथ भवन में चल रहे पर्युषण महापर्व के पांचवे दिवस अणुव्रत-चेतना दिवस मनाया गया। इस मौके पर साध्वी कंचन कुमारी अपने प्रवचनों में कहा की अ¨हसा के विकास के लिए साधना की जरूरत है। कषाय हमारा उपशांत हो। कषाय में क्रोध, मान, माया व लोभ ये चार आते है। इनकी दो अवस्थाएं होती हैं। पहली उदीर्ण अवस्था और दूसरी उपशांत अवस्था। जब ये प्रकट होते हैं तो वह उदीर्ण अवस्था और अंदर रहते हैं, तो उपशांत अवस्था होती है। उपशांत के लिए तीन के संयम की जरूरत होती है। जिसमें मन का संयम, वाणी का संयम व काया का संयम। मन का संयम सिद्ध करने के लिए ध्यान का प्रयोग, वाणी का संयम सिद्ध करने के लिए स्वाध्याय का प्रयोग व काया पर संयम सिद्ध करने के लिए कायोत्सर्ग, आसन व प्राणायाम का प्रयोग है। उपशांत की साधना संयम की साधना है। तीसरा संयम है तप। रसोई से ¨हसा का क्रम प्रारंभ हो जाता है। तप के अनेक प्रकारों में आहार का संतुलन भी एक है। ज्यादा खाना भी ¨हसा का एक कारण बन सकता है। इतना ही खाएं कि जो पच जाए। नाभि से शक्ति केंद्र के स्थान तक का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। वहीं चौथा जप का प्रयोग में तल्लीन हो जाने से ध्यान की भूमिका का निर्माण हो जाता है। सिर पर सफेद रंग का ध्यान कर णमो अरिहंताणं, भृकुटी के बीच में लाल रंग का ध्यान के णमो सिद्धाणं आदि का ध्यान किया जा सकता है। उपरोक्त ये चार सूत्र का प्रयोग हमारे जीवन की दिशा बदल सकते हैं।

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