युद्ध की पूर्व संध्या पर माता कुंती दानवीर कर्ण को मनाने पहुंची, अंगराज के सवालों के नहीं दे पाई जवाब

जागरण संवाददाता रोहतक मेरा कसूर क्या था मां जो पैदा होते ही परित्याग कर दिया? आज कैस

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 06:46 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 06:46 AM (IST)
युद्ध की पूर्व संध्या पर माता कुंती दानवीर कर्ण को मनाने पहुंची, अंगराज के सवालों के नहीं दे पाई जवाब
युद्ध की पूर्व संध्या पर माता कुंती दानवीर कर्ण को मनाने पहुंची, अंगराज के सवालों के नहीं दे पाई जवाब

जागरण संवाददाता, रोहतक :

मेरा कसूर क्या था मां जो पैदा होते ही परित्याग कर दिया? आज कैसे अपने ज्येष्ठ पुत्र की याद आ गई? तब कहां थीं, जब सूतपुत्र कहकर गुरु द्रोण ने मेरा अपमान किया। जब क्षत्रिय न होने की वजह से द्रोपदी के स्वयंवर में भाग लेने से रोका गया। जब अर्जुन ने सरेआम मेरे पुत्र सुदामन का वध किया। दानवीर कर्ण ने युद्ध की पूर्व संध्या पर उन्हें मनाने आई माता कुंती से यह सवाल किए। अंगराज के सवालों के जवाब माता कुंती के पास नहीं थे। महाभारत के पात्र कर्ण की पीड़ा को घर-फूंक थियेटर फेस्टिवल के अंतर्गत आयोजित नाटक महारथी में दिखाया गया।

सप्तक रंगमंडल, पठानिया व‌र्ल्ड कैंपस, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) एवं सोसर्ग के सहयोग से नाटक कराया गया। नाटक में सूतपुत्र होने के कारण जीवनभर अपमान झेलने की कर्ण की व्यथा और उनके पराक्रम एवं व्यक्तित्व से रूबरू कराया गया। आइएमए हाल में हुए नाटक का निर्देशन मोहित गुप्ता और अजहर खान ने किया। महाभारत की विभिन्न घटनाओं के माध्यम से कर्ण के व्यक्तित्व के अलग-अलग पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। जन्म के बाद ही कुंती ने त्याग दिया। कैसे छल से उसके दिव्य कवच और कुंडल ले लिए गए। युद्ध से हटने के लिए कृष्ण और कुंती ने किस तरह भावनात्मक दबाव बनाने की कोशिश की। अपने सिद्धांतों से पीछे नहीं हटे, धोखे से वध कर दिया गया। विभांशु वैभव नाटक के लेखक हैं। इन्होंने निभाए पात्र

महारथी की प्रस्तुति दिल्ली के वीकेंड थियेटर एंड फिल्मस के कलाकारों ने दी। कृष्ण और गुरु द्रोण के रूप में रजत, कर्ण रूप में कैवल्य और कुंती के रूप में संस्कृति ने प्रभावित किया। गौतम, हिमांशु, विशाल, महिमा, अंशुम, कुणाल, कार्तिकेय, पूजा और कीर्ति ने भी अपने-अपने पात्रों से पूरा न्याय किया। पूजा, संस्कृति, रजत दहिया, अर्पण और रितेश ने पर्दे के पीछे की जिम्मेदारियां निभाईं। यह रहे मौजूद

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के प्रो. राजेंद्र शर्मा, सप्तक रंगमंडल के अध्यक्ष विश्वदीपक त्रिखा, प्रो. मनमोहन, डा. अजय बल्हारा, नरेश प्रेरणा, ब्रह्मप्रकाश, श्रीभगवान शर्मा, सिद्धार्थ भारद्वाज, निकिता, जगदीप जुगनू, शक्ति सरोवर त्रिखा, अविनाश सैनी, विकास रोहिल्ला, मनोज कुमार, रिकी बतरा आदि मौजूद रहे।

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