एमडीयू पर 40.77 करोड़ तो एचएसवीपी पर 14 करोड़ का बकाया विकास शुल्क, नोटिस जारी

जागरण संवाददाता रोहतक नगर निगम प्रशासन ने प्रॉपर्टी टैक्स के बकायेदारों और ट्रेड लाइस

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 12:54 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 12:54 AM (IST)
एमडीयू पर 40.77 करोड़ तो एचएसवीपी पर 14 करोड़ का बकाया विकास शुल्क, नोटिस जारी
एमडीयू पर 40.77 करोड़ तो एचएसवीपी पर 14 करोड़ का बकाया विकास शुल्क, नोटिस जारी

जागरण संवाददाता, रोहतक

नगर निगम प्रशासन ने प्रॉपर्टी टैक्स के बकायेदारों और ट्रेड लाइसेंस न लेने वालों पर शिकंजा कसने के साथ ही संस्थानों को भी नोटिस जारी किए हैं। हालांकि इस बार जो नोटिस जारी किए गए हैं वह विकास शुल्क(डेवलपमेंट चार्ज) के लिए हैं। निगम प्रशासन ने चेतावनी जारी करते हुए संस्थानों, कालोनियों के साथ ही हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण(एचएसवीपी) को नोटिस दिए हैं। एमडीयू पर विकास शुल्क की करीब 40.77 करोड़ रुपये रकम बकाया है, जबकि करीब 14 करोड़ रुपये एचएसवीपी प्रशासन को जमा कराने हैं। इन्हें 27 नवंबर को अपना पक्ष रखने के लिए आखिरी मौका दिया गया है।

नगर निगम प्रशासन की तरफ से नोटिस जारी किए गए हैं। निगम प्रशासन की तरफ से जारी किए गए नोटिस में एमडीयू और एचएसवीपी प्रशासन को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। यह भी कहा कि यदि अपना पक्ष नहीं रखा तो संबंधित विभागों के मुख्यालयों को नोटिस जारी किया जाएगा। इससे बकाया रकम पाने के लिए कानूनी व दूसरी तरह की तमाम कार्रवाई का सहारा लिया जा सके। इससे पहले भी नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन संबंधित संस्थानों ने बकाया रकम जमा नहीं कराई। इसलिए आखिरी नोटिस जारी करते हुए सख्त हिदायत भी दी गई है।

एक बार ही देना होता है विकास शुल्क

नगर निगम के जानकारों का कहना है कि विकास शुल्क सिर्फ एक बार ही देना होता है। भले ही कोई बिल्डर हो या फिर सरकारी, गैर सरकारी संस्थान। औद्योगिक से लेकर व्यवसायिक इमारतों का निर्माण करने पर भी यह शुल्क जमा कराना होता है। जानकार कहते हैं कि संस्थानों और रिहायशी क्षेत्रों के लिए 120 रुपये वर्ग गज के हिसाब से यह रकम जमा करानी होती है। वहीं, व्यवसायिक संस्थानों के लिए 1000 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से विकास शुल्क जमा कराना होता है।

सौ से अधिक कालोनियों में तमाम बकायेदार

नगर निगम के सूत्रों का कहना है कि साल 2014 में 33 कालोनियां वैध हुई थीं, इसके बाद भी कालोनियां वैध हुईं। वैध कालोनियों की संख्या करीब सौ से अधिक तक पहुंच गई। बताया जा रहा है कि इन सभी वैध कालोनियों के रिहायशी और व्यवसायिक प्लाट मालिकों पर विकास शुल्क बकाया है। इन सभी बकायेदारों को नोटिस देने की तैयारी है। नोटिस देने से ब्योरा तैयार होगा कि इनकी संख्या कितनी है और कितना बकाया शुल्क है।

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एचएसवीपी और एमडीयू पर बकाया विकास शुल्क की रकम जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। इन्हें सुनवाई के लिए मौका दिया गय है, इसके बाद आगामी कार्रवाई होगी। इसलिए विकास शुल्क जमा न कराने वाले संस्थानों को यही कहा गया है कि तत्काल रकम जमा कराएं।

प्रदीप गोदारा, आयुक्त, नगर निगम।

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