पीजीआइ में एक छत के नीचे महामारी से निपटने का बनाया मास्टर प्लान
कोरोना महामारी ने दुनिया को हिलाकर रख दिया। जिस तरह कोरोना महामारी है उसी तरह की भविष्य में अन्य कोई बीमारी या महामारी भी आ सकती है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग अब दूर की सोचकर योजनाएं तैयार करने में जुट गया है। ऐसा ही मास्टर प्लान पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस ने तैयार किया है। संस्थान में महामारी से निपटने के लिए ऐसी बिल्डिग बनाने की तैयारी है जहां पर एक ही छत के नीचे मरीजों की जांच इलाज ऑब्जर्वेशन व रिसर्च की जा सके।
ओपी वशिष्ठ, रोहतक :
कोरोना महामारी ने दुनिया को हिलाकर रख दिया। जिस तरह कोरोना महामारी है, उसी तरह की भविष्य में अन्य कोई बीमारी या महामारी भी आ सकती है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग अब दूर की सोचकर योजनाएं तैयार करने में जुट गया है। ऐसा ही मास्टर प्लान पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस ने तैयार किया है। संस्थान में महामारी से निपटने के लिए ऐसी बिल्डिग बनाने की तैयारी है, जहां पर एक ही छत के नीचे मरीजों की जांच, इलाज, ऑब्जर्वेशन व रिसर्च की जा सके। सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है, जिसको लेकर हरी झंडी भी लगभग मिल गई है।
पीजीआइएमएएस में कोरोना महामारी को लेकर संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ी तो नॉन कोविड मरीजों का इलाज भी प्रभावित हुआ। जब कोरोना पीक पर था तो ओपीडी, सर्जरी व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को बंद करना पड़ा। जब हालात सामान्य हुए तो स्वास्थ्य सेवाएं दोबारा से शुरू की गई। अब कोरोना की दूसरी लहर शुरू हो गई है, जिसके कारण पीजीआइएमएसए में दोबारा से ऐसी स्थिति बनती दिख रही है। हालांकि कोविड मरीजों के लिए अलग से बिल्डिग आरक्षित की गई है, लेकिन वहां सभी संसाधन नहीं होने के कारण मरीजों को इधर से उधर भेजना पड़ता है। जिसके कारण संक्रमण का खतरा रहता है। हेल्थ केयर वर्कर्स को भी इसमें दिक्कतें होती है। इसलिए पीजीआइएमएस प्रशासन ने कोविड एंड इंफेक्शन डीजिज केयर एंड रिसर्च सेंटर बनाने का निर्णय लिया है। इस बिल्डिग में सभी अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध करवाए जाएंगे। इन सुविधाओं में वेंटीलेटर, लैब, ओटी, सभी तरह के टेस्ट भी शामिल हैं। कोविड प्रबंधन के लिए मांगा 115 करोड़ का बजट
पीजीआइएमएस ने सरकार से कोविड मैनेजमेंट को लेकर आगामी छह माह तक करीब 115 करोड़ रुपए का बजट मांगा है। इसी में कोविड एंड इंफेक्शन डीजिज केयर एंड रिसर्च सेंटर की बिल्डिग के करीब 20 करोड़ रुपए का बजट शामिल है। साथ ही जींस सिक्वेंसर मशीन, पोर्टेबल सीटी स्कैन मशीन व अन्य संसाधनों को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक निगम से भी अधिकारियों ने प्रस्ताव पर चर्चा की थी, जिसको लेकर उन्होंने हरी झंडी प्रदान कर दी थी। क्यों जरूरी है महामारी के लिए अलग बिल्डिग
पीजीआइएमएस में हजारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं। कोविड महामारी के बावजूद भी पीजीआइ में एक अप्रैल से 13 अप्रैल तक ओपीडी में 63100 मरीज जांच के लिए आए थे। यह तो तब है जब ओपीडी में रजिस्ट्रेशन का समय मात्र दो घंटे सुबह नौ से 11 बजे तक रखा है। इसके अलावा इमरजेंसी वार्ड में रोजाना 1200 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। पहले इमरजेंसी मरीज ट्रामा सेंटर में आते थे, लेकिन अब उसे कोविड अस्पताल बना दिया गया है, जिसके कारण इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित होना लाजमी है। अगर महामारी को लेकर अलग से बिल्डिग हो तो अन्य मरीजों का इलाज सामान्य रूप से होता रहेगा। वर्जन
महामारी से निपटने के लिए अलग से बिल्डिग बनाने का निर्णय लिया है। इसका प्रस्ताव सरकार को भेज दिया है। पोस्ट कोविड रिसर्च सेंटर बनाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अब इसे अपग्रेड करके कोविड एंड इंफेक्शन डीजिज केयर एंड रिसर्च सेंटर बनाने का निर्णय लिया है। भविष्य को देखते हुए इस तरह की खास बिल्डिग की जरूरत भी है।
डा. पुष्पा दहिया, मेडिकल सुपरीटेंडेंट, पीजीआइएमएसए, रोहतक