ट्रामा सेंटर स्टाफ की देखभाल से मनीष की सेहत में सुधार
परिवार से दूरी कोरोना संक्रमितों का सबसे बड़ा वियोग रहा है। बड़े किसी तरह इस वियोग को सह लेते हैं। लेकिन चार साल के मनीष को न कोरोना संक्रमण की समझ है न ही अपनों से दूरी की वजह जान पा रहा है। मां को याद कर बिलख उठता है।
विक्रम बनेटा, रोहतक : परिवार से दूरी कोरोना संक्रमितों का सबसे बड़ा वियोग रहा है। बड़े किसी तरह इस वियोग को सह लेते हैं। लेकिन, चार साल के मनीष को न कोरोना संक्रमण की समझ है, न ही अपनों से दूरी की वजह जान पा रहा है। मां को याद कर बिलख उठता है। बच्चे के आंखों में आंसू देख पीपीई किट पहने स्टाफ नर्स उसके पास जाती है। बच्चे के सिर पर प्यार से हाथ फेरती है। उससे बात करने की कोशिश करती है। अपनी टूटी-फूटी मार्मिक आवाज में मासूम भूख लगे तो बिस्किट मांग लेता है। पीजीआइ के ट्रामा सेंटर में गत पांच दिनों से भर्ती चार वर्षीय मनीष को मां-बाप छोड़ गए हैं। 10 जून की रात से मां से नहीं मिला है। बच्चे की मासूमियत और पीड़ा को देख ट्रामा सेंटर के स्टाफ का दिल पिघल गया लेकिन मां-बाप की ममता अभी तक नहीं जगी है।
-मनीष को पहनाए नए कपड़े, दिए खिलौने
पीजीआइएमएस के ट्रामा सेंटर का स्टाफ मनीष को घर जैसा माहौल देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। मनीष को स्टाफ की ओर से सोमवार को नए कपड़े पहनाए गए। वहीं एक स्टाफ सदस्य मनीष के लिए बाजार से खिलौने लेकर आया, जिसे देखकर उसका चेहरा खिल उठा। मनीष अब स्टाफ के हर सदस्य का चहेता बना हुआ है। मासूम के हालात देखकर भावुक हुए स्टाफ के लोग घर से कुछ न कुछ उसके लिए लेकर आ रहे हैं।
-सांस लेने में दिक्कत के चलते करवाया था भर्ती
तीन जून को पीजीआइ के आपात विभाग में सांस लेने में दिक्कत के चलते मनीष को लाया गया था। जहां पीडियाट्रिक विभाग में चेकअप हुआ, कोरोना संक्रमित पाए जाने पर रात आठ बजे माड्यूलर आइसीयू कम ओटी में भर्ती कर दिया गया। दस जून की दोपहर मनीष को ट्रामा सेंटर में शिफ्ट किया गया। पहले की फाइल पर एक मोबाइल नंबर भी दर्ज था लेकिन वह मोबाइल नंबर भी स्विच आफ आ रहा है।