एसटीटीपी प्रोग्राम में रिसर्च में प्रोफेशनल एथिक्स की दी जानकारी
शोध की मौलिकता सबसे महत्वपूर्ण है। शोधार्थी के लिए शोध में नैतिकता और सत्यनिष्ठा आवश्यक तत्व हैं। जरूरत है कि शोधार्थी शोध कार्य में ईमानदारी बरते।
जागरण संवाददाता, रोहतक : शोध की मौलिकता सबसे महत्वपूर्ण है। शोधार्थी के लिए शोध में नैतिकता और सत्यनिष्ठा आवश्यक तत्व हैं। जरूरत है कि शोधार्थी शोध कार्य में ईमानदारी बरते। यह कहना है महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग के प्रो. नसीब सिंह गिल का। वह केआइआइटी कालेज ऑफ इंजीनियरिग, गुरुग्राम की ओर से आयोजित ह्यूमैन वेल्यूज, एथिक्स, मॉरल्स, बिहेवियरल साइंसेज एंड एटीट्यूड विषय पर आयोजित एसटीटीपी प्रोग्राम में बतौर अतिथि वक्ता संबोधित कर रहे थे।
प्रोफेसर नसीब ने ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी इन्नोवेशन्स, रिसर्च एंड प्रोफेशनल एथिक्स विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने इन्नोवेशन से जुड़े विभिन्न पहलुओं टीचर-स्टूडेंट, क्वालिटी ऑफ एजुकेशन, इन्वायरन्मेंट, सोसाइटल कल्चर आदि की जानकारी दी। प्रो. नसीब ने रिसर्च एथिक्स के विभिन्न अव्ययों-सेफ्टी, मॉरलिटी, वेलीडिटी, गुड प्रैक्टिस, इंटीग्रेटी, लॉ आदि बारे डेलीगेट्स को बताया। उन्होंने डेलीगेट्स से कहा कि एथिक्स सही और गलत के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हैं। इस मौके पर केआइआइटी के निदेशक डा. एएस अग्रवाल, डा. कनिका कौर मौजूद रहे।
थ्री-डी प्रिटिग में लुब्रिकेशन एवं बीयरिग के उपयोग की जानकारी दी
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलॉजी (यूआइईटी) के मेकेनिकल विभाग में एआइसीटीई ट्रेनिग एंड लर्निंग (अटल) अकादमी की ओर से थ्री-डी प्रिटिग व डिजाइन विषय पर आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का मंगलवार को दूसरा दिन रहा। पहले सत्र में श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय, कटरा से डा. अंकुश रैना ने थ्री-डी प्रिटिग में लुब्रिकेशन एवं बीयरिग के उपयोग की जानकारी दी। दूसरे सत्र में आर्ट ऑफ लिविग, बंगलौर से संतोष शर्मा ने स्ट्रेस मैनेजमेंज पर व्याख्यान दिया। सेंट एंड्रयूज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, गुरुग्राम से डा. इमरान सिराज ने थ्री-डी प्रिटिग में होने वाली विभिन्न त्रुटि व इन्हें पहचानने के की जानकारी दी।