बीमा क्लेम फर्जीवाड़े में चिकित्सक और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध

फर्जीवाड़ा कर बीमा क्लेम हासिल करने के मामले में बड़ी बात सामने आइ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 04:00 AM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 06:32 AM (IST)
बीमा क्लेम फर्जीवाड़े में चिकित्सक और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध
बीमा क्लेम फर्जीवाड़े में चिकित्सक और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध

पुनीत शर्मा, रोहतक :

फर्जीवाड़ा कर बीमा क्लेम हासिल करने के मामले में बड़ी बात सामने आई है। दावा किया जा रहा है कि बीमा कराने से पूर्व भी व्यक्ति का मेडिकल परीक्षण कंपनी के चिकित्सकों द्वारा कराया जाता है। ऐसे में बीमा कंपनी के चिकित्सक और कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जाना संभव नहीं है। इसके चलते अब पीजीआइ के स्टाफ के साथ बीमा कंपनी के कर्मचारियों पर भी संदेह की सुई घूम रही है। संभव है कि जिले में बने बीमा कंपनियों के दफ्तरों में भी एसआइटी की टीम कार्रवाई करेगी।

सोनीपत एसटीएफ ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर अंतिम स्टेज के कैंसर पीड़ितों का बीमा कराकर फर्जी तरीके से क्लेम लेने का खुलासा किया था। एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपितों ने खुलासा किया था कि वह पहले फर्जीवाड़ा करके बीमा कराते थे, इसके बाद क्लेम के लिए कैंसर मरीज की हादसे में मौत दर्शाकर कंपनियों को करोड़ों रुपये का चूना लगा देते थे। आरोपितों ने कैंसर पीड़ितों का बीमा पांच जिलों में स्थित बीमा कंपनियों के दफ्तरों से कराया गया था। इससे साफ है कि पांचों जिलों में बने बीमा कंपनी के दफ्तरों के कर्मचारी आरोपितों से मिले हुए थे। दावा किया जा रहा है कि बीमा कराने से पूर्व संबंधित व्यक्ति का मेडिकल परीक्षण कराया जाता है। इसके लिए पहले तो सरकारी अस्पताल और उसके बाद कंपनी के चिकित्सकों का पैनल उक्त व्यक्ति के स्वास्थ्य की जांच करता है। अब ऐसे में पूरी तरह से संभव है कि दोनों ही जगह पर कैंसर पीड़ित व्यक्ति का फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाया गया है। क्योंकि दो जगह पर जांच के दौरान कैंसर की पुष्टि अवश्य सामने आती। पीजीआइ में हुए पोस्टमार्टम का रिकार्ड खंगालने में जुटी टीम

पूरे मामले में जांच कर रही एसआइटी टीम अब पीजीआइ समेत पांचों जिले के अस्पतालों में हुए पोस्टमार्टम का रिकॉर्ड खंगालने में जुटी है। इसके बाद स्पष्ट हो सकेगा कि किस जिले में कितने कैंसर पीड़ितों का फर्जी पोस्टमार्टम कराया गया था। इसके बाद पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक, रिपोर्ट तैयार करने वाले कंप्यूटर आपरेटर और पीजीआइ के कैंसर वार्ड से मरीजों की फाइल निकालने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। पूरे मामले की जांच एसआइटी कर रही है। यह जांच का विषय है कि कैंसर वार्ड से फाइल कैसे निकाली जाती थी। पूरे मामले में पुलिस और एसआइटी जांच करेगी।

डा. एमजी वशिष्ठ, एमएस, पीजीआइएमएस

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