ग्रीन-क्लीन कैंपस से प्रेरित एमडीयू छात्र बने पर्यावरण प्रहरी
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के पांच-छह छात्रों की दो वर्ष पहले शुरू की गई पर्यावरण संरक्षण की मुहिम रंग ला रही है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के पांच-छह छात्रों की दो वर्ष पहले शुरू की गई पर्यावरण संरक्षण की मुहिम रंग ला रही है। विश्वविद्यालय के ग्रीन एंड क्लीन कैंपस से प्रेरित होकर छात्रों ने फ्रेंड्स आफ अर्थ नाम से ग्रुप बनाया था। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए छात्रों ने पौधारोपण की मुहिम छेड़ी। एमडीयू के छात्र पंकज, नरेंद्र, सतीश, अनिल, अनुराग व नितीश की पहल से वर्तमान में 300 से अधिक सदस्य जुड़ गए हैं। ग्रुप के कई छात्र अब नौकरीपेशा हो गए हैं। लेकिन, पौधारोपण के प्रति जुनून पहले जैसा ही है। छात्रों ने एक नियम बनाया है कि सभी पौधारोपण के लिए समान राशि देंगे। ग्रुप खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रुप काम कर रहा है। गांव की उस जमीन पर पौधारोपण किया जाता है जहां किसी को आपत्ति न हो। जिस गांव में पौधारोपण करते हैं वहां एक सदस्य की जिम्मेदारी लगाई जाती है। यह सदस्य रोजाना पौधों में पानी डालने व अन्य प्रकार की देखभाल का जिम्मा लेता है। पाकस्मा, कुलताना, चुलियाना, जसौर खेड़ी, कुलासी आदि गांवों पौधारोपण किया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार से अधिक पौधे ग्रुप लगा चुका हैं। फ्रेंड्स आफ अर्थ के सदस्यों का कहना है कि हमारा लगाया एक भी पौधा यदि सूखता है या किसी और कारण से नहीं बढ़ पाता तो मुहिम का फायदा नहीं। हम लगाए गए एक-एक पौधे की देखभाल करते हैं। जुलाई माह में ग्रुप ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में मेगा प्लांटेशन मुहिम शुरू करने जा रहा है। व्हाटसएप ग्रुप से जुड़े हैं सदस्य फ्रेंड्स आफ अर्थ के सदस्य इंटरनेट मीडिया से जुड़े हुए हैं। व्हाटसएप पर दो ग्रुप बनाए गए हैं। प्रत्येक पौधे की मानीटरिग इन ग्रुप के जरिए की जा रही है। पौधारोपण की गई जगह पर लोकल वालंटियर को पौधों के देखरेख संबंधी जिम्मेदारी दी जाती है। पौधों के विकास संबंधी जानकारी को वालंटियर नियमित इंटरनेट मीडिया ग्रुप पर अपडेट करते हैं। औषधीय गुणों वाले पौधों का करते हैं रोपण मिट्टी और पानी के अनुसार पौधों का चयन किया जाता है। विशेषज्ञों की सलाह पर पौधों को खरीदा जाता है। ज्यादातर वह पौधे लगाए जाते हैं जोकि आक्सीजन ज्यादा देता है। इसके अलावा औषधीय गुणों से भरपूर हों। अर्जुन, कदम, बड़, पीपल, जामुन, नीम, गूलर व एलस्टोनिया जैसे छायादार व औषधीय गुण वाले पौधों को को प्राथमिकता दी जाती है।