दीये बनाने वाले कारीगरों पर महंगाई की मार, कैसे चमके कारोबार
मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों पर महंगाई की मार पड़ रह
जागरण संवाददाता, रोहतक :
मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों पर महंगाई की मार पड़ रही है। ऐसे में दीपावली पर मिट्टी के दीये बनाने वाली कारीगरों का कारोबार कैसे चमकेगा, यह चिंताजनक है। रोहतक में खोखरा कोट और शोरा कोठी क्षेत्रों में ज्यादातर कारीगर मिट्टी के दीये बनाने का कार्य करते हैं। कारीगरों ने बताया कि इस बार उनके कारोबार पर महंगाई की मार पड़ रही है। दीये और अन्य बर्तन बनाने में प्रयोग की जाने वाली एक ट्राली मिट्टी की कीमत पांच हजार रुपये तक हो चली है। इतना ही नहीं, वह भी मिलनी मुश्किल हो रही है। जब मिट्टी ही पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पाएगी तो कारीगर अधिक संख्या में दीये नहीं बना पाएंगे। मिट्टी महंगी होने से दीये बनाकर घरों को रोशन करने वाले कारीगर मायूस हो रहे हैं।
खोखरा कोट निवासी कारीगर हंसराज व बिजेंद्र ने बताया कि इस बार एक ट्राली मिट्टी के दाम बहुत बढ़े हुए हैं। पिछले सालों के दौरान जहां एक ट्राली मिट्टी की कीमत ढाई से तीन हजार रुपये तक पड़ती थी, वहीं अब इसकी कीमत पांच हजार रुपये तक हो चली है। इतना ही नहीं मिट्टी के दीये पकाने के लिए उनको ईंधन भी पहले से कहीं ज्यादा महंगा मिल रहा है। लेकिन उनकी आमदनी नहीं बढ़ रही है और उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति आज भी पहले जैसी ही बनी हुई है। ऐसे में उनको मिट्टी के दीये बनाने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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उपलब्ध कराई जानी चाहिए मिट्टी :
इन कारीगरों का कहना है कि दीपावली से पहले उन्हें मिट्टी के लिए सरकारी जमीन उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि उनको राहत मिल सके और दीपावली पर उनका कारोबार भी चमक उठे।
उन्होंने बताया कि करीब तीन दशक पहले सरकार ने उनको इसके लिए जमीन उपलब्ध कराई थी। लेकिन उस जमीन पर अब कब्जे हो चुके हैं। कब्जे छुड़वाने में अधिकारी भी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने अनुमान लगाया कि रोहतक में कारीगरों की ओर से चार लाख से अधिक दीये तैयार किए जा रहे हैं। इस कारण इन दिनों ज्यादातर कारीगर दीये तैयार करने में जुटे हुए हैं।