अफगानिस्तान में विकास के लिए भारत की भूमिका अहम : एमजे अकबर
जागरण संवाददाता रोहतक भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) रोहतक की ओर से डेवलपमेंट इन
जागरण संवाददाता, रोहतक :
भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम) रोहतक की ओर से डेवलपमेंट इन अफगानिस्तान एंड इट्स इंपेक्ट आन रिजनल एंड ग्लोबल सिक्युरिटी विषय पर दो पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। भारत, अफगानिस्तान और अमेरिका से विशेषज्ञ, आनलाइन कांफ्रेंस में शामिल हुए। राज्यसभा सदस्य एमजे अकबर ने उद्घाटन सत्र में अफगानिस्तान के इतिहास को बताते हुए तालिबान के सत्ता में काबिज होने पर बदले हालातों पर चिता जताई। उन्होंने कहा कि तालिबान के आगमन से चाफपाक (चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान) का उदय हुआ है। जिन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदायों से अनुशासित व्यवहार की उम्मीद है। अफगानिस्तान में विकास के लिए भारत के भूमिका को उन्होंने रेखांकित किया।
अफगानिस्तान की पूर्व खनन मंत्री नरगिस निगान ने अफगानिस्तान में महिलाओं, श्रमिकों, मीडिया और सरकारी क्षेत्र की दयनीय स्थिति पर चिता जताई। उन्होंने कहा कि देश में व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है। ओमाहा के नेब्रास्का विश्वविद्यालय के अफगान अध्ययन केंद्र के हनीफ सुफीजादा ने कहा कि 20 वर्षाें की मेहनत खाक हो गई है। सुरक्षा मामलों के जानकार ब्रिगेडियर राहुल भोंसले ने अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पाकिस्तान को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। आइआइएम रोहतक के निदेशक प्रो. धीरज शर्मा ने पैनलिस्ट का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खात्मे और नए सिरे से देश को बसाने के उद्देश्य से 20 वर्ष पहले अमेरिका ने अफगानिस्तान में सैन्य कार्रवाई शुरू की। तालिबान का फिर से सत्ता में आना वैश्विक संकट की ओर संकेत है। क्षेत्रीय संतुलन के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अफगानी धरती का प्रयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए न हो।
अफगानी-पाकिस्तानी आवाम का तालिबान को समर्थन नहीं
कांफ्रेंस के दूसरे पैनल डिस्कशन में अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत के गवर्नर शाहमहमूद मियाखेल ने कहा कि तालिबान को आम अफगानी और पाकिस्तानी का समर्थन नहीं मिला है। तालिबान को समझना होगा कि सेना और शासन में फर्क है। मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के अफगानिस्तान और पाकिस्तान अध्ययन केंद्र के निदेशक डा. मार्विन जी वेनबौम ने कहा कि वर्ष 2001 की स्थिति पर दुनिया फिर से लौट गई है। पाकिस्तान भी इस खतरे का भांप रहा है। यह एक बड़ा कारण है कि तालिबान शासन को अभी तक पाकिस्तान ने अधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है।
इन्होंने भी रखे विचार
अफगानिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत जयंत प्रसाद, पूर्व जनरल आफिसर कमांडिग और मिलट्री सेक्रेटरी से लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन, अफगानिस्तान विशेषज्ञ डा. शांति मैरीट डिसूजा, अफगानिस्तान सेना के कर्नल फहीम सैयद।