महामारी में कई अपनों को खोने के बावजूद दूसरों की मदद कर रहे पूर्व मंत्री

कोरोना की दूसरी लहर में पूर्व सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर कई रिश्तेदार व नजदीकी लोगों को खो चुके हैं। खुद पैर में फ्रैैक्टर की वजह से घर में बेड पर हैं। लेकिन इसके बावजूद लोगों की मदद में दिन-रात एक किए हुए हैं

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 05:29 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 05:29 AM (IST)
महामारी में कई अपनों को खोने के बावजूद दूसरों की मदद कर रहे पूर्व मंत्री
महामारी में कई अपनों को खोने के बावजूद दूसरों की मदद कर रहे पूर्व मंत्री

जागरण संवाददाता, रोहतक : कोरोना की दूसरी लहर में पूर्व सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर कई रिश्तेदार व नजदीकी लोगों को खो चुके हैं। खुद पैर में फ्रैैक्टर की वजह से घर में बेड पर हैं। लेकिन इसके बावजूद लोगों की मदद में दिन-रात एक किए हुए हैं। वह खुद तो फील्ड में उतर नहीं पा रहे, लेकिन शहर में अलग-अलग टीमें बनाकर जरूरतमंद लोगों की मदद करवा रहे हैं।

पूर्व मंत्री एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष ग्रोवर पौती के साथ घर में खेलते हुए चोटिल हो गए। उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया। चिकित्सकों ने पैर पर प्लास्टर करना पड़ा। पैर चोटिल होने के कारण वह दो सप्ताह से घर पर ही बेड पर हैं। इसी बीच बेटी की सास-ससुर बीमार पड़ गए। उनको उपचार के लिए रोहतक में भर्ती कराया, लेकिन एक सप्ताह के भीतर दोनों का निधन हो गया। इसके अलावा उनके एक अन्य रिश्तेदार का भी बीमारी के चलते निधन हो गया। रिश्तेदारों के अलावा कई नजदीकी व पार्टी कार्यकर्ता भी महामारी में चले गए। लेकिन इसके बावजूद ग्रोवर ने हौसला नहीं खोया। खुद लोगों की मदद के लिए फील्ड में नहीं जा पा रहे थे, इसलिए अपने रिश्तेदार, परिवार के सदस्य व पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं की अलग-अलग टीमें गठित की और उनको जिम्मेदारी सौंपी गई। कोरोना महामारी से सुरक्षित करने के लिए वैक्सीन को लेकर एक टीम ने विशेष अभियान शुरू कर रखा है। शहर के अलग- अलग एरिया में कैंप लगाकर लोगों को वैक्सीन लगवाई जा रही है। एक टीम को ऑक्सीजन की जिम्मेदारी लगा रखी है, जो जरूरतमंद लोगों को आक्सीजन पहुंचा रही है। इसके अलावा सैनिटाइजेशन, मास्क, जरूरतमंद लोगों को राशन व अन्य वस्तुएं भेजी जा रही है।

फोन से करते हैं टीमों से कार्डिनेट

पूर्व मंत्री ग्रोवर फोन पर ही सभी टीमों के साथ कार्डिनेट करते हैं। सुबह दिन निकलने से पहले लोगों के फोन आना शुरू हो जाते हैं, जो देर रात तक सिलसिला चलता रहता है। किसी को पीजीआइ तो किसी को निजी अस्प्ताल में भर्ती कराया जाता है। इस कार्य में बेटे हिमांशु ग्रोवर का सहयोग ले रहे हैं। खुद जा नहीं सकते, इसलिए बेटे हिमांशु को मदद को भेजा जाता है।

पता नहीं चलता कब होती है रात : ग्रोवर

पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर का कहना कोरोना की पहली लहर में वह खुद लोगों की मदद के लिए फील्ड में थे। लेकिन दूसरी लहर में पैर फ्रैक्चर हो गया। बेड से उठ नहीं पा रहे हैं। लोगों की फोन पर ही मदद की जा रही है। विगत दिनों ऑक्सीजन को लेकर उनके पास सैकड़ों फोन आते थे, जितना संभव हो पाता, मदद की गई। मुख्यमंत्री को स्थिति से अगवत कराया गया। प्रशासनिक अधिकारियों से लगातार संपर्क में रहें। जल्दी आक्सीजन की समस्या का समाधान हो गया। अब स्थिति नियंत्रण में है।

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