पौधे लगाकर दे रहे दूसरों को छांव

अपने हिस्से में धूप रखी ताकि दूसरों को छांव मिल सके। बारिश की बौछार अपने तन पर सही ताकि दूसरे भींगने से बच सकें।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 04:00 AM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 06:32 AM (IST)
पौधे लगाकर दे रहे दूसरों को छांव
पौधे लगाकर दे रहे दूसरों को छांव

रीतू लाम्बा, रोहतक अपने हिस्से में धूप रखी ताकि दूसरों को छांव मिल सके। बारिश की बौछार अपने तन पर सही ताकि दूसरे भींगने से बच सकें। यह कहना सेक्टर एक के निवासी नरेंद्र दलाल और उनके साथियों का है। जिन्होंने आज से लगभग डेढ़ साल पहले एक असाधारण मुहिम शुरू की थी। जिसका सुपरिणाम यह है कि आज शहर के कई स्थान हरे-भरे हैं। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षरण का संदेश दे रहे हैं। अभी तक उनके द्वारा लगाए गए 250 से अधिक पेड़-पौधे लोगों को छांव दे रहे हैं।

22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। सरकारी स्तर पर देखा जाए तो पर्यावरण संरक्षण केवल कागजी स्तर पर देखने को मिला है, लेकिन ऐसे में शहर के कई ऐसे लोग हैं जो अपने निजी स्तर पर पृथ्वी को हरा-भरा बनाने और शहर को पॉलीथिन मुक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं। नरेंद्र दलाल सिचाई विभाग से सेवानिवृत्त हैं। नरेंद्र ने बताया कि उन्हें प्राकृति से बहुत प्यार है। सेवानिवृत्त होने बाद वह उन्होंने कई बंजर जगहों को हरा-भरा बनाया। इसके अलावा मुझे काम करते देख कई साथी मेरे साथ जुड़ गए। पहले उन्होंने तिलियार झील पर पेड़ लगाए। इसके बाद उन्होंने सेक्टर एक, कम्यूनिटी सेंटर, पार्कों, सड़कों के किनारे जामुन, नीम, बरगद, आंवला, चीर, बेरी, पीपल के पेड़ लगाएं है। वह हर सप्ताह उनमें पानी डालने के लिए खुद से पैसे एकत्रित कर पानी का टैंकर मंगाते हैं और पानी देते हैं। इसके अलावा वह छोटे पौधों के संरक्षण के लिए ग्रिल लगाते हैं। उन्होंने बताया उनकी टीम में प्रो. सोनिया मलिक, कमांडर बीएस दहिया, अजय गुलिया, अनील, नरेंद्र राणा, हरेंद्र मलिक, सुनिता अहलावत, सुनिल हैं। जोकि पर्यावरण के साथ-साथ लोगों को पॉलिथीन मुक्त बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने लोगों को जागरूक करने के लिए पार्कों में कपड़े के बैग भी वितरित किए हैं। अभी तक 150 से अधिक त्रिवेणी लगा चुके हैं सुनील

बाबरा मोहल्ला के निवासी अभी तक 150 से अधिक त्रिवेणी लगा चुके हैं। सुनील कोर्ट में टाइपिस्ट हैं। नौ साल पहले उन्होंने कोर्ट में त्रिवेणी लगा कर शुरुआत की और आज वह उसी त्रिवेणी के नीचे बैठकर अपना कार्य करते हैं। इसके अलावा वह मस्तनाथ, सेक्टर दो, सोनीपत रोड, बाबरा मुहल्ला के अलावा कई स्थानों पर त्रिवेणी लगा चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह खुद से ही त्रिवेणी खरीद कर लाते हैं और उनमें खाद, पानी डालकर नियमित रूप से उनकी देखभाल भी करते हैं।

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