जान देकर चुकाई चरणदास चोर ने सच बोलने की कीमत
जागरण संवाददाता रोहतक सप्तक रंगमंडल सोसर्ग और पठानिया वर्ल्ड कैंपस की ओर से संयुक्त तौ
जागरण संवाददाता, रोहतक : सप्तक रंगमंडल, सोसर्ग और पठानिया वर्ल्ड कैंपस की ओर से संयुक्त तौर पर आयोजित घर फूंक थियेटर फेस्टिवल में इस बार मशहूर नाटककार हबीब तनवीर के नाटक 'चरणदास चोर' का मंचन हुआ। पठानिया स्कूल में हुए इस नाटक में चरणदास नामक चोर को सच बोलने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। नाटक के माध्यम से दर्शाया गया कि शासन के लिए सच बोलना चोरी से भी बड़ा जुर्म है। आवरण आर्ट सोसायटी दिल्ली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नाटक का निर्देशन राजेश तिवारी ने किया था।
नाटक की कहानी एक शातिर लेकिन मानवीय गुणों वाले एक चोर के इर्दगिर्द घूमती है। चरणदास नामक यह चोर पुलिस से बचते हुए एक साधु के आश्रम में पहुंचता है। वहां वह बड़बोलेपन में कभी सोने की थाली में खाना न खाने, हाथी की सवारी न करने, किसी देश का राजा न बनने और रानी से शादी न करने का प्रण ले लेता है। वह समझता है कि उस जैसे चोर के जीवन मे ऐसा मौका कभी नहीं मिल सकता। इसके साथ ही गुरुजी के कहने पर वह सच बोलने का प्रण भी ले लेता है। धीरे-धीरे सच बोलते हुए वह बड़ी चोरियां करता है और काफी मशहूर हो जाता है। अपनी अंतिम चोरी के रूप में सरकारी कोष में चोरी करने के बाद राज्य की रानी उसे दिल दे बैठती है। इसके बाद उसे सोने की थाली में खाने, हाथी की सवारी करने, रानी से शादी करने व राजा बनने का प्रस्ताव मिलता है, लेकिन वह अपने प्रण से पीछे नहीं हटता। नाटक के अंत में, सच बोलने की शपथ के कारण उसे मार दिया जाता है।
-इन्होंने किया अभिनय
नाटक में चरणदास के रूप में शेखर सिंह ने बेहतरीन अभिनय किया। लूना (रानी), दीपक आनंद (साधू), आनंद रावत (हवलदार), वर्षा यादव (सेठानी ने भी प्रभावित किया। इनके अलावा आशीष, शक्ति, सुरजीत, दीपक, प्रदीप, भुवन, अनमोल, समीर, इरति•ा और मुक्तबीर ने भी अपने-अपने पात्रों से बखूबी न्याय किया। तोश, मुरारी, भुवन, आदर्श, प्रदीप व अनमोल ने गायन पक्ष और जतिन ने प्रकाश व्यवस्था को संभाला। सप्तक के सचिव अविनाश सैनी व मंच संचालक सुजाता ने बताया कि नाटक के निर्देशक राजेश तिवारी देश के जाने-माने अभिनेता और निर्देशक हैं। वे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के ग्रेजुएट हैं और विभिन्न नाटकों के 1500 से अधिक मंचनों का हिस्सा रह चुके हैं।