ग्रामीण क्षेत्र में भाजपाई नहीं खिला सके कमल, छह वार्डों में रहे पीछे
- 16 वार्डों में मनमोहन गोयल रहे प्रतिद्वंदियों से आगे, बाकी में रहे पीछे - वार्ड 5, 8, 9,
- 16 वार्डों में मनमोहन गोयल रहे प्रतिद्वंदियों से आगे, बाकी में रहे पीछे
- वार्ड 5, 8, 9, 10, 12 और 22 में प्रतिद्वंदियों को मिले अधिक मत
- निगम के किसी भी गांव में भाजपा प्रत्याशी को नहीं मिल सकी जीत
विनीत तोमर, रोहतक :
नगर निगम चुनाव में इस बार कई परिवर्तन देखने को मिले। भाजपा प्रत्याशी मनमोहन गोयल ने रिकार्ड तोड़ मतों से जीत हासिल कर सभी को चौका दिया तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा का कमल मुरझाया रहा। तमाम कोशिशों के बाद भाजपाई ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ हद तक अपनी पकड़ तो बना सके, लेकिन वहां से जीत हासिल करने में कामयाब नहीं रहे। वहीं आंकड़ों के अनुसार, शहर के अंतर्गत आने वाले तीन वार्डों में भी भाजपा का रूतबा कम ही दिखाई दिया।
नगर निगम चुनाव में यूं तो भाजपा प्रत्याशी मनमोहन गोयल ने 14776 वोटों से जीत हासिल कर इतिहास बना दिया, लेकिन इस चुनाव के माध्यम से यह भी सामने आ गया कि भाजपा कहां-कहां पर कमजोर रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो वार्ड नंबर 5 में जींद रोड, सलारा मुहल्ला और पाड़ा मुहल्ला आदि एरिया आता है। इस एरिया में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी सीताराम सचदेवा को 2106 वोट मिले तो भाजपा प्रत्याशी को 1924 और इनेलो-बसपा समर्थित प्रत्याशी संचित नांदल को 1481 वोट मिले। इसी तरह वार्ड नंबर 8 में शहर का बाहरी क्षेत्र सोनीपत रोड, गोहाना रोड और किशनपुरा आदि एरिया आता है। यहां पर भी भाजपा की कमजोरी साफ दिखाई दी। यहां पर सीताराम सचदेवा को 1694, इनेलो-बसपा समर्थित संचित नांदल को 1587 और भाजपा को सबसे कम मात्र 842 वोट मिले। इनके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी भाजपा पिछड़ी रही। वार्ड 9 के अंर्तगत आने वाले बोहर गांव में संचित नांदल को सर्वाधिक 6268, भाजपा को 1891 और कांग्रेस को 1614 मत मिल सके। वार्ड 10 के माजरा, कन्हेली, पहरावर, खेड़ी साध और बलियाणा आदि गांवों में भाजपा तीसरे नंबर पर रही। यहां पर संचित को 4950, सीताराम सचदेवा को 4265 और मनमोहन गोयल को मात्र 2663 वोट मिल सके। इसी तरह वार्ड 12 में आने वाले तिलक नगर, मॉडल टाउन और वार्ड 22 में आने वाले सुनारिया कलां और सुनारिया खुर्द आदि गांवों में मनमोहन गोयल को तीसरे स्थान मिला है। हालांकि जिस तरीके से भाजपा को इस बार ग्रामीण क्षेत्र में मत मिले हैं वह पहले के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है। क्योंकि इससे पहले भाजपा की स्थिति ग्रामीण क्षेत्र में अन्य दलों के मुकाबले कमजोर रही है। कुछ ऐसा रहा जातिगत फैक्टर
जिन स्थानों पर भाजपा प्रत्याशी पीछे रहे हैं उनमें अधिकतर स्थानों पर जाट वोट है। इन क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी के पीछे रहने के दो कारण माने जा रहे हैं। पहला कारण यह है कि जाट आरक्षण आंदोलन के बाद जाटों में भाजपा को लेकर नाराजगी है। आरक्षण को लेकर सरकार के खिलाफ धरने-प्रदर्शन भी हुए। चुनाव से पहले शहर में जाति विशेष के नाम पर विवादित पोस्टर भी लगा दिए गए थे। भाजपा प्रत्याशी को कम वोट मिलने का दूसरा कारण इनेलो-बसपा समर्थित प्रत्याशी संचित नांदल को माना जा रहा है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में इनेलो की अच्छी पकड़ थी। हालांकि पार्टी दो फाड़ होने के बाद इनेलो की पकड़ भी कमजोर हुई है, लेकिन इनेलो और बसपा का समर्थन होने के कारण उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी वोट मिली है। 2019 के चुनाव तक ग्रामीण क्षेत्रों में बनानी होगी गहरी पैठ
नगर निगम चुनाव में जीत हासिल होने के बाद भाजपा की 2019 की राह आसान हो गई। क्योंकि इस चुनाव में भाजपा को अपनी कमजोरी और मजबूती का पता चल गया। ऐसे में यदि भाजपा को 2019 में फतेह करनी है तो ग्रामीण क्षेत्रों में पैठ बेहद जरूरी होगी। ------------------
विनीत तोमर