दिन ढलने के बाद घर से बाहर अकेली न निकले बेटियां, सुरक्षित नहीं है शहर

जागरण संवाददाता, रोहतक : बेटियों की सुरक्षा का दम भरने वाले पुलिस के दावों की पोल शनिव

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Sep 2018 07:09 PM (IST) Updated:Sun, 09 Sep 2018 07:09 PM (IST)
दिन ढलने के बाद घर से बाहर अकेली न निकले बेटियां, सुरक्षित नहीं है शहर
दिन ढलने के बाद घर से बाहर अकेली न निकले बेटियां, सुरक्षित नहीं है शहर

जागरण संवाददाता, रोहतक : बेटियों की सुरक्षा का दम भरने वाले पुलिस के दावों की पोल शनिवार रात खुल गई। देर रात सोनीपत स्टैंड पर सरेआम बाइक सवारों ने युवती के साथ छेड़खानी की। धक्का देकर गिराया और हू¨टग करते हुए फरार हो गए। युवती के चिल्लाने के बावजूद न कोई उसकी मदद के लिए आया और न ही चौराहे पर पुलिसकर्मी दिखाई दिए। यह घटना शहर के सबसे संवेदनशील चौराहे सोनीपत स्टैंड की है, जहां से चंद कदमों की दूरी पर महिला थाना, सिविल लाइन थाना, लघु सचिवालय और यहां तक एसपी आवास भी ज्यादा दूर नहीं है।

घटना रात करीब नौ बजे की है। सोनीपत स्टैंड से एक युवती दुर्गा कॉलोनी में जा रही थी। स्टैंड पर पहुंचते ही पीछे से आए एक बाइक पर सवार तीन मनचलों ने कुछ दूरी तक उसका पीछा किया और बाद में उसके साथ छेड़खानी की। हद तो यह हो गई कि इतना सब होने के बाद भी मनचलों ने युवती का पीछा नहीं छोड़ा। मनचलों ने बाइक पर बैठे-बैठे ही युवती को धक्का देकर गिरा दिया। इसके बाद पुलिस में शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से फरार हो गए। मनचलों से बचने के लिए युवती चिल्लाई भी, लेकिन वहां से गुजर रहे लोग भी उसकी मदद के लिए आगे नहीं है। हैरानी की बात यह है कि इतना संवेदनशील चौराहा होने के बाद भी यहां पर पुलिसकर्मी भी मौजूद नहीं थे। घटना के बाद युवती ने पुलिस के 100 नंबर पर भी कॉल किया, लेकिन कई बार कॉल करने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं हुआ। ऐसे हालातों में तो यही कहा जाएगा कि दिन ढलने के बाद बेटियों के लिए शहर सुरक्षित नहीं है।

देव कॉलोनी और सोनीपत स्टैंड समेत शहर में करीब 320 पीजी

शहर में फिलहाल करीब 320 पीजी है। इसमें अधिकतर पीजी में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। न तो पीजी का रजिस्ट्रेशन है और न ही उनमें रहने वाले लोगों का पुलिस के पास कोई रिकॉर्ड। नियमानुसार, इसका पूरा रिकॉर्ड पुलिस के पास होना चाहिए, साथ ही पीजी में सीसीटीवी कैमरे भी अनिवार्य है। कुछ पीजी तो ऐसे भी है, जिसमें कोई भी बाहरी व्यक्ति दो या चार दिनों के लिए आकर रूक सकता है। ऐसे में कहीं न कहीं अपराधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। शाम होते ही पीजी के बाहर मनचलों का जमावड़ा शुरू हो जाता है, जिससे उस गली से बेटियों का निकलना भी सुरक्षित नहीं है।

इन स्थानों पर है सबसे अधिक पीजी

देव कॉलोनी, सुभाष नगर, मॉडल टाउन, दुर्गा कॉलोनी, विकास नगर, झंग कॉलोनी, गांधी कैंप, डीएलएफ, डी-पार्क, मेडिकल मोड और तिलक नगर में सबसे अधिक पीजी संचालित है।

हाउस की मी¨टग तक सिमट गया था मुद्दा

शहर में करीब 320 पीजी है। पिछले साल नगर निगम ने सर्वे कराया था। हाउस की मी¨टग में भी कई बार यह मामला उठा। पार्षदों ने मांग करते हुए कहा था कि रिहायशी इलाकों में पीजी होने के कारण माहौल खराब रहता है। इसके बाद निगम की तरफ से पीजी संचालकों को आदेश जारी किए गए थे कि पीजी का रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है। साथ ही पीजी के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगने अनिवार्य है। सभी को नोटिस भी दे दिए गए थे, लेकिन फिर नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की।

नो प्रोफिट-नो लॉस का मिलता है तर्क

पीजी संचालकों के कारण नगर निगम को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। संचालकों की तरफ से प्रॉपर्टी टैक्स जमा ही नहीं कराया जाता। कई बार निगम इन्हें नोटिस जारी कर चुका है। ऐसे में पीजी संचालक तर्क देते हैं कि वह नो प्रोफिट-नो लॉस पर पीजी चला रहे हैं। छात्रों को सस्ते दामों पर पीजी मुहैया कराया जाता है। इस वजह से प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं कर सकते।

इन स्थानों पर होती है छेड़खानी

देव कॉलोनी, पावर हाउस चौक, मानसरोवर पार्क, सोनीपत स्टैंड, बड़ा बाजार, राजकीय महिला महाविद्यालय के पास शीला बाईपास, मॉडल टाउन, एमडीयू के सामने, छोटूराम स्टेडियम के सामने और डी-पार्क आदि स्थान बेहद संवेदनशील है।

आंकड़े खोल रहे पुलिस के दावों की पोल

यूं तो पुलिस महिला उत्पीड़न को रोकने के खूब दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है यह खुद पुलिस के आंकड़े बयां कर रहे हैं। महिला उत्पीड़न के मामले कम होने की बजाय लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 2015 में जिले में 54 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुई तो वहीं अभी तक 2018 में करीब 40 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। छेड़खानी का भी कुछ ऐसा ही हाल है। वर्ष 2015 में छेड़खानी के भी 190 दर्ज किए गए। जबकि 2016 में संख्या घटकर 125 हो गई, लेकिन 2017 के आंकड़े ने पिछले रिकार्ड भी तोड़ दिया। छेड़खानी के 225 मामले दर्ज किए गए। दुष्कर्म की घटनाएं भी कुछ कम नहीं है। 2016 में 60 और 2017 में इसकी संख्या बढ़कर 88 तक पहुंच गई। 2018 में अब तक छेड़खानी का आंकड़ा भी 125 के पार पहुंच गया है।

पूर्व पार्षद बोले, पीजी पर होनी चाहिए कार्रवाई

- पूर्व मेयर रेणू डाबला का कहना है कि हमनें पीजी पर कार्रवाई के लिए लिस्ट मांगी थी। निगम की तरफ से लिस्ट तो दी गई, लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं की गई। रिहायशी क्षेत्र में पीजी के संचालन को लेकर अधिकतर पार्षद भी विरोध जता चुके हैं।

- वार्ड-10 के पूर्व पार्षद अशोक खुराना का कहना है कि मैंने कई बार हाउस की मी¨टग में मुद्दा उठाया था। रिहायशी क्षेत्र में पीजी का संचालन होने के कारण अक्सर इस तरह की घटनाएं होती रहती है। अधिकारियों से भी कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

- वार्ड-13 के पूर्व पार्षद संजय सैनी का कहना है कि पीजी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। अधिकतर पीजी बिना मानक के चल रहे हैं। कार्रवाई की मांग करने पर आश्वासन दिया गया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसमें संबंधित अधिकारियों की भी मिलीभगत है।

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मनचलों के खिलाफ कड़ा अभियान चल रहा है। इसके लिए दुर्गा शक्ति की टीम भी काम कर रही है। स्कूल-कालेजों के बाहर भी अभियान चलाया जाता है। सभी थाना प्रभारियों को भी हिदायत दी गई है कि महिला सुरक्षा को लेकर कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

- जश्नदीप ¨सह रंधावा, एसपी रोहतक।

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