अस्पताल में विवाद के बाद कोर्ट ने दिए सीसीटीवी फुटेज निकलवाने के आदेश

शीला बाईपास स्थित प्राइवेट अस्पताल में अभद्र बर्ताव के मामले में जेएमआइसी (ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट फ‌र्स्ट क्लास) मधुर अरोड़ा की कोर्ट ने पुलिस को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवाने के आदेश दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 07:55 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 07:55 AM (IST)
अस्पताल में विवाद के बाद कोर्ट ने दिए सीसीटीवी फुटेज निकलवाने के आदेश
अस्पताल में विवाद के बाद कोर्ट ने दिए सीसीटीवी फुटेज निकलवाने के आदेश

जागरण संवाददाता, रोहतक : शीला बाईपास स्थित प्राइवेट अस्पताल में अभद्र बर्ताव के मामले में जेएमआइसी (ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट फ‌र्स्ट क्लास) मधुर अरोड़ा की कोर्ट ने पुलिस को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवाने के आदेश दिए हैं। सिविल लाइन थाना पुलिस को पांच जुलाई से पहले यह फुटेज कोर्ट में पेश करनी होगी।

मामले के अनुसार, नेहरू कालोनी की रहने वाली कनिका ने पुलिस में शिकायत दी थी। इसमें बताया था कि आठ जून को उसने प्राइवेट अस्पताल में अपने बेटे को भर्ती कराया था। जिसे 12 जून तक भर्ती रखा गया और फिर डिस्चार्ज कर दिया। बच्चे के मेडिकल का पूरा खर्च कैशलेश इंश्योरेंस से होना था, जिसके चलते डाक्टर ने कहा कि 15 जून को बच्चे को यहां से डिस्चार्ज दिखाएंगे। इसके बाद भी वह बच्चे को 15 जून तक रोजाना अस्पताल में उपचार कराने के लिए लेकर जाते रहे। 19 जून को भी वह अस्पताल में गए तो डाक्टर ने अभद्रता और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाते हुए थाने में उनके खिलाफ ही मामला दर्ज करा दिया। जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत देकर कोर्ट में गुहार लगाई। मामले को लेकर बुधवार को कोर्ट में सुनवाई हुई, जिस पर कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिए हैं कि 12 जून से लेकर 19 जून तक की अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज निकलवाकर कोर्ट में पेश की जाए। गार्ड घोटाले में जन अधिकार रक्षा मंच ने राज्यपाल को भेजा पत्र

जागरण संवाददाता, रोहतक: पीजीआइ में हुए गार्ड घोटाले को लेकर निलंबित किये गये सुरक्षा अधिकारी बदाम सिंह व सहायक सुरक्षा अधिकारी संजय सांगवान के पक्ष में बुधवार को जन अधिकार रक्षा मंच के पदाधिकारियों ने राज्यपाल व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर घोटाले की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग उठाई। राज्यपाल को लिखे पत्र में जन अधिकार रक्षा मंच के प्रधान अजय सांगवान, महासचिव अमित वशिष्ठ व उपाध्यक्ष एडवोकेट परमजीत ने कहा है कि स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक घोटाला पकड़ने वाले कर्मियों को कठोरतम सजा नौकरी से डिसमिस करने का नोटिस देकर बलि का बकरा बनाया जा रहा है। जबकि इस घोटाले में शामिल कंपनी पर कोई कार्यवाही ही नहीं की गई।

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