जिले में बनाए 46 आइसोलेशन सेंटर, लेकिन एक भी मरीज नहीं आया
जिला प्रशासन की ओर से कोविड मरीजों को एकांतवास मुहैया करवाने के लिए 46 गांवों में आइसोलेशन सेंटर तो खोल दिये हैं। मगर कोई भी सुविधा न होने की वजह से ग्रामीण वहां रहने को तैयार नहीं है।
जागरण संवाददाता, रोहतक: जिला प्रशासन की ओर से कोविड मरीजों को एकांतवास मुहैया करवाने के लिए 46 गांवों में आइसोलेशन सेंटर तो खोल दिये हैं। मगर कोई भी सुविधा न होने की वजह से ग्रामीण वहां रहने को तैयार नहीं है। सभी आइसोलेशन सेंटर में 10 बेड बिछाए गये हैं। वहां न तो कोई डाक्टर है और न ही कोई नर्स और न ही दवाई या फिर अन्य मेडिकल सुविधाओं का बंदोबस्त किया गया है। ऐसे में मरीज इन आइसोलेशन सेंटर्स से दूरी बनाए हुए हैं। दूसरी ओर संक्रमित के घर से ही खाने-पीने की व्यवस्था करनी होगी। ऐसे में जो व्यक्ति खाना लेकर पहुंचेगा उसे भी संक्रमण की संभावना बनी रहेगी। इन्हीं सब को देखते हुए ग्रामीण आइसोलेशन सेंटर की बजाए घर पर ही आइसोलेट होना बेहतर मान रहे हैं। सुविधा नहीं तो कैसा सेंटर
कोविड से ग्रस्त बैंसी गांव के ग्रामीणों बताया कि कोविड के मरीज को हर समय एक एटेंडेंट की जरूरत इसलिए होती है ताकि वह उसे पानी, दवा या खाना आदि बेड पर उपलब्ध करवा सके मगर आइसोलेशन सेंटर में किसी भी मेडिकल स्टाफ की मौजूदगी न होने से मरीजों का यहां रहकर कोविड से पार पाना आसान नहीं है। इसलिए ही मरीज आइसोलेशन सेंटर से दूरी बनाए हुए है। बैंसी गांव में ज्यादातर को बुखार की शिकायत
बैंसी गांव के सरपंच कृष्ण ने बताया कि उनके गांव में अनेक लोग बुखार से ग्रस्त है। गांव में कोविड टेस्ट करने की कोई सुविधा नहीं है और ग्रामीण अन्य स्थानों पर टेस्ट करवाने के लिए नहीं जा रहे हैं। आइसोलेट होने की सुविधा होने के बावजूद घर पर ही रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव में लड़कियों के स्कूल में 10 बिस्तरों का एक आइसोलेशन सेंटर बना दिया गया है मगर उसमें न तो डाक्टर व अन्य स्टाफ और न ही दवाई की सुविधा है इसलिए कोई भी ग्रामीण इस सेंटर में आकर राजी नहीं है। वर्जन
आइसोलेशन सेंटर उन मरीजों के लिए बनाए गये हैं, जिनके पास घर में आइसोलेट होने की सुविधा नहीं है। इन सेंटर्स में बिस्तर, पीने के पानी, टॉयलेट व दवाइयों की सुविधा मुहैया करवाई गई है। इसके अलावा, हेल्थ विभाग का ऑफिसियल हर रोज यहां आकर मरीजों की जांच करेगा। यदि किसी मरीज की हालत बिगड़ती है तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करवा दिया जायेगा। ग्राम सचिव को आइसोलेशन सेंटर का इंजार्च बनाया गया है जबकि गांव के चौकीदार को हर राज सेंटर को सैनिटाइज करने के लिए कहा गया है।
- महेश कुमार, डीआरडीए के सीईओ और जिले में आइसोलेशन सेंटर के नोडल ऑफिसर