जोगिया द्वारे-द्वारे: महेश कुमार वैद्य
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हाल ही में की गई मुख्यमंत्री मनोहरलाल की तारीफ अहीरवाल में सर्वाधिक चर्चित है। अवसर था झज्जर के बाढ़सा में स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में इंफोसिस फाउंडेशन विश्राम सदन के वर्चुअल लोकार्पण का।
राज नहीं है नमो का मनो की तारीफ करना
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हाल ही में की गई मुख्यमंत्री मनोहरलाल की तारीफ अहीरवाल में सर्वाधिक चर्चित है। अवसर था झज्जर के बाढ़सा में स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में इंफोसिस फाउंडेशन विश्राम सदन के वर्चुअल लोकार्पण का। पीएम ने जिस अंदाज में मनोहर की तारीफ की, उसमें कुछ लोगों को राज नजर आ रहा है, मगर यह राज की बात नहीं है। मोदी का सीधा संदेश केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सहित उन सभी के लिए था, जो मनोहर को कमतर आंक रहे थे और उनकी विदाई में अच्छे दिन की उम्मीद कर रहे थे। अंदर की खबर यह है कि हरियाणा में भाजपा का कांग्रेसीकरण करने का प्रयास मोदी को नागवार गुजरा। इस कारण उन्होंने मन की बात सार्वजनिक कर दी और सभी को संदेश दे दिया कि नमो (नरेंद्र मोदी) की पसंद कल भी मनो (मनोहरलाल) थे और आज भी मनो हैं। उनकी शान में गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं होगी।
नहीं लुटती देखी खाद
खाद के मामले में इस बार दक्षिण हरियाणा में नया रिकार्ड बन गया है। लोगों ने नकदी-गहने और अन्य सामान लुटते देखा-सुना था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ जब खाद लूट की खबरें सुर्खियां बनी हों। लंबी लाइनों का भी रिकार्ड बन रहा है। कांग्रेस सरकार के समय लंबी लाइनों पर तंज कसने वाले भाजपाई बैकफुट पर हैं, लेकिन समस्या के कारण और समाधान पर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। अटेली में तीन दिन पहले हुई खाद लूटने की घटना ने खाद बिक्री केंद्रों पर तो पहरा बढ़ा दिया है, मगर आम लोगों की जुबान पर लगाम लगाना इतना आसान नहीं है। कोई कह रहा है कि चुनावी वर्ष होने के कारण हरियाणा के हिस्से की खाद उत्तर प्रदेश भेजी जा रही है तो कोई अधिकारियों की लापरवाही को कोस रहा है। बहरहाल कारण कुछ भी हो, बेबस किसानों की लाइनें पत्थरदिल लोगों को भी रुला रही है। बहुत दूर की सोचते हो यार!
इन दिनों विधानसभा की पूर्व उपाध्यक्ष संतोष यादव की सक्रियता गजब की है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ ने इन्हें महिला मोर्चा के प्रदेश प्रभारी की कमान सौंपी हुई है। हालांकि संतोष को चुनावी राजनीति की खिलाड़ी माना जाता है, मगर जब मजबूरी हो तो संगठन की राजनीति से संतोष करना पड़ता है। अटेली क्षेत्र संतोष की कर्मभूमि है, मगर इस बार यहां का प्रतिनिधित्व भाजपा के ही सीताराम यादव कर रहे हैं। ऐसे में संतोष को वेकेंसी की तलाश है। किसी का कहना है कि नारनौल का चयन संतोषजनक हो सकता है तो कोई दूसरी राय दे रहा है, मगर फिलहाल तो नारनौल में भी वेकेंसी नहीं है। ऐसे में टेढ़े सवाल हल करने वाले अपना जवाब अगर-मगर के सहारे दे रहे हैं। खबरची का कहना है कि अगर ओमप्रकाश के आका ने पाला बदला तो बीरबल की नगरी में संतोष यादव के लिए वेकेंसी निकल जाएगी। बहुत दूर की सोचते हो यार! वहां जिदा लोगों पर चल रही है तलवार
समय बड़ा बलवान है। यह समय का फेर ही है, जिसके चलते स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और जय किसान आंदोलन के नेता योगेंद्र यादव को दो बातों का सदैव मलाल रहेगा। एक कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में समर्थन पाकर भी अपने गृह जिले रेवाड़ी से अपेक्षित समर्थन न मिलना और दूसरे उस मोर्चा से एक माह के लिए निलंबित होना, जिसके गठन में उनकी अहम भूमिका थी। दो दिन पूर्व संयुक्त किसान मोर्चे ने योगेंद्र को इसलिए निलंबित कर दिया, क्योंकि वह उस भाजपा कार्यकर्ता के घर संवेदना व्यक्त करने गए थे, जिसकी लखीमपुर खीरी प्रकरण में मौत हो गई थी। योगेंद्र बिना सहमति के भाजपा कार्यकर्ता के घर जाने की गलती मान चुके हैं, मगर नीति-सिद्धांत की दुहाई देकर अपने कदम को आज भी सही मानते हैं। अब उन्हें यह कौन समझाए कि नीति-सिद्धांतों पर ही नहीं वहां तो जिदा लोगों पर तलवार चल रही है।