आंदोलन से छिन गई सैकड़ों की रोजी-रोटी

दिल्ली-जयपुर हाईवे स्थित शहाजहांपुर बार्डर पर 13 दिसंबर से कृषि कानून विरोधियों ने लगाया हुआ है जाम

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 05:10 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 05:10 PM (IST)
आंदोलन से छिन गई सैकड़ों की रोजी-रोटी
आंदोलन से छिन गई सैकड़ों की रोजी-रोटी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : दिल्ली-जयपुर हाईवे पर शहाजहांपुर बार्डर पर चल रहे कृषि कानून विरोधियों के आंदोलन को छह माह पूरे हो गए हैं। आंदोलनकारी इसको अपनी सफलता बता रहे हैं लेकिन क्या कभी किसी ने उन लोगों की तरफ देखा है, जिनकी रोजी-रोटी तक इस आंदोलन ने छीन ली है। ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जो इस आंदोलन के चलते बीते छह माह से अपने घर पर बैठे हुए हैं। यह वो लोग हैं, जिनके हाईवे पर पेट्रोल पंप, ढाबे व अन्य दुकानें हैं। आंदोलन के चलते हाईवे जाम है, जिसके चलते इनके पेट्रोल पंप, ढाबों और दुकानों पर छह माह से ताला लटक रहा है। मालिकों की हालत नौकर से भी बदतर हो गई है लेकिन किसी को इनके हालातों पर दया नहीं आ रही। न आग्रह और न विरोध आया काम कृषि कानून विरोधियों ने 13 दिसंबर 2020 को अपना आंदोलन शुरू किया था। शहाजहांपुर बार्डर पर आकर आंदोलनकारियों ने अपना डेरा डाल दिया था। तभी से यह आंदोलन बदस्तुर जारी है। आंदोलनकारियों ने हाईवे की मुख्य सड़क पर ही अपने टेंट लगाए हुए हैं। उनके यहां सुरक्षा से लेकर भोजन और रहन-सहन का पूरा इंतजाम है। टेंटों में कूलर चलते हैं और चौबीसों घंटे भोजन तैयार रहता है। चूंकि हाईवे जाम है, इसलिए यहां चलने वाले भारी वाहनों को गांवों की सड़कों से ही होकर निकलना पड़ रहा है। इससे बड़ा असर हाईवे पर खुले हुए पेट्रोल पंप संचालकों व अन्य दुकानों पर पड़ा है। धारूहेड़ा से लेकर शाहजहांपुर बार्डर तक 120 के लगभग पेट्रोल पंप हैं और हाईवे जाम होने के कारण अधिकांश बंद पड़े हुए हैं। इतना ही नहीं सैकड़ों की तादाद में यहां ढाबे भी हैं, जिन पर अब धूल चढ़ चुकी है। अन्य दुकानों पर भी ताले लटके हुए हैं। पेट्रोल पंप व ढाबा मालिक छह महीने में पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी हुए बेरोजगार इस आंदोलन के चलते हजारों की तादाद में कर्मचारी बेरोजगार हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक 120 पेट्रोल पंपों, होटल, ढाबों व दुकानों पर करीब 25 से 30 हजार कर्मचारियों को रोजगार मिला हुआ था। अब काम धंधा ठप होने पर करीब 20 हजार कर्मचारियों को घर बैठना पड़ गया है। यह सभी बीते छह माह से इसी आस में हैं कि शीघ्र ही हाईवे पर ट्रैफिक सुचारू होगा और उनकी नौकरी बहाल होगी लेकिन इंतजार करते-करते छह माह बीत गए हैं।

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42 गांवों के लोगों ने की थी पंचायत आंदोलन से परेशान होकर आसपास के 42 गांवों के लोगों ने महापंचायत भी की थी तथा आंदोलनकारियों से आग्रह भी किया था कि वह हाईवे को खाली करके साइड में सर्विस लेन पर बैठ जाए लेकिन आंदोलनकारियों ने उनकी बात नहीं मानी। धरने के कारण आसपास के गांवों के लोग इसलिए परेशान हैं क्योंकि हाईवे बंद होने से वाहन गांवों के लिक मार्गों से निकल रहे हैं जिससे गांवों में दिन-रात वाहनों की लाइनें लग रही है तथा हादसे भी हो रहे हैं। चूंकि आंदोलनकारी राजस्थान की सीमा में बैठे हैं और उनको राजस्थान सरकार का पूरा आश्रय मिल रहा है इसलिए इलाके के ग्रामीणों का दबाव भी उनपर कोई असर नहीं डाल रहा है।

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सरकार को भी करोड़ों के राजस्व का चूना पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की मानें तो हाईवे जाम करके आंदोलनकारियों ने सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। प्रति लीटर डीजल व पेट्रोल पर सरकार को करीब 37 से 40 रुपये का राजस्व मिलता है। हाईवे के पेट्रोल पंपों पर हर रोज हजारों लीटर तेल की बिक्री रहती थी लेकिन अब पेट्रोल पंप बंद है जिससे सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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हमारे पेट्रोल पंपों पर छह माह से काम नहीं है। करोड़ों रुपये का पेट्रोल पंप संचालकों को तथा करोड़ों रुपये का सरकार को राजस्व का घाटा हो चुका है। हम आंदोलनकारियों से मिलकर कई बार आग्रह कर चुके हैं लेकिन उनपर कोई प्रभाव नहीं हुआ। हमारी रोजी-रोटी तक छीन ली गई है।

-अनिल यादव, प्रधान आल हरियाणा पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन।

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हाईवे पर यातायात बंद है और कारोबार भी पूरी तरह से ठप है। निश्चित तौर पर आसपास के ग्रामीणों को भी परेशानी हो रही है। हम एक बार फिर से इस मामले में बातचीत की प्रक्रिया को शुरू करेंगे ताकि कोई समाधान निकल आए।

-विरेंद्र छिल्लर, चेयरमैन बावल पंचायत समिति

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