फर्ज निभाकर दूसरों के जीवन में कर रहे 'प्रकाश'

पिछले एक साल से जीवन पहले की तरह सामान्य नहीं रह गया है। फर्ज निभाने के लिए परिवार से दूरियां तक बनानी पड़ रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Apr 2021 04:20 PM (IST) Updated:Mon, 26 Apr 2021 04:20 PM (IST)
फर्ज निभाकर दूसरों के जीवन में कर रहे 'प्रकाश'
फर्ज निभाकर दूसरों के जीवन में कर रहे 'प्रकाश'

अमित सैनी, रेवाड़ी

पिछले एक साल से जीवन पहले की तरह सामान्य नहीं रह गया है। फर्ज निभाने के लिए परिवार से दूरियां तक बनानी पड़ रही हैं। अब न पहले की तरह बच्चों को दुलार सकते हैं और न ही मां के पास बैठकर घंटों बात कर सकते हैं। कर्तव्य की राह मुश्किल जरूर है लेकिन इस परीक्षा को तो पास करना ही होगा। यह कहना है नागरिक अस्पताल के एंबुलेंस चालक गांव गोकलगढ़ निवासी प्रकाश चंद का। प्रकाश चंद्र कोविड की दस्तक के साथ ही बीते एक साल से हर रोज संक्रमितों के संपर्क में आ रहे हैं तथा उनको सेवा मुहैया कराने का काम कर रहे हैं। फर्ज निभाने के लिए उन्हें अपने परिवार से भी दूरी बनाकर रहना पड़ रहा है लेकिन उनका कहना है कि लोगों को अब विश्वास स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर ही है और वह उनका विश्वास कायम रखना चाहते हैं। महीनों तक नहीं गए थे घर प्रकाश चंद वर्ष 2010 से नागरिक अस्पताल में एंबुलेंस चालक हैं। पिछले साल कोरोना फैलने के साथ ही उनकी ड्यूटी कोविड मरीजों को लाने व लेकर जाने में लग गई थी। शुरुआत में वह बेहद डरे हुए थे लेकिन सभी ने बताया कि सावधानी बरतेंगे तो संक्रमण के खतरे से बचा जा सकता है। प्रकाश ने इस नियम का पालन किया तथा एक साल में सैकड़ों कोरोना संक्रमितों को उनके घर से अस्पताल और ठीक होने के बाद अस्पताल से उनके घर सकुशल पहुंचा चुके हैं। अहम बात यह है कि इस अवधि में वह खुद कभी संक्रमित नहीं हुए। हालांकि इसके लिए उन्हें काफी बड़ा त्याग भी करना पड़ रहा है। कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रकाश करीब चार माह तक अपने घर पर ही नहीं गए थे। उन्होंने शहर में ही अपने अन्य एंबुलेंस चालक साथियों के साथ कमरा किराये पर ले लिया था और वहीं पर रह रहे थे। बच्चों, पत्नी व माता-पिता से फोन पर ही बातचीत होती थी। इस बार भी पूरी निर्भयता से अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में जुटे हुए हैं। प्रकाश का कहना है कि खुद को व अपने परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए वह बेहद सावधानी बरतते हैं। मुंह से कभी भी मास्क नहीं हटाते। मरीज को लेकर आते समय व लेकर जाते समय पीपीई किट पहनकर रखते हैं। बार-बार साबुन से हाथ धोते हैं तथा हर रोज काढ़े का सेवन जरूर करते हैं। सैनिटाइजर का बार-बार इस्तेमाल करना भी उनकी आदत बन गई है। प्रकाश का कहना है कि कोरोना का हराना है तो हर व्यक्ति को पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करना होगा।

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