न क्वारंटाइन सेंटर, न सैनिटाइजर, इस बार सोच क्या रहे हो सरकार

न क्वारंटाइन सेंटर और न ही सैनिटाइजर का छिड़काव हो रहा है। समझ ही नहीं आ रहा कि इस बार कोरोना से निपटने के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की ओर से किस तरह के प्रबंध किए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 07:06 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 07:06 PM (IST)
न क्वारंटाइन सेंटर, न सैनिटाइजर, इस बार सोच क्या रहे हो सरकार
न क्वारंटाइन सेंटर, न सैनिटाइजर, इस बार सोच क्या रहे हो सरकार

अमित सैनी, रेवाड़ी

न क्वारंटाइन सेंटर और न ही सैनिटाइजर का छिड़काव हो रहा है। समझ ही नहीं आ रहा कि इस बार कोरोना से निपटने के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की ओर से किस तरह के प्रबंध किए जा रहे हैं। लोगों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं और आक्सीजन व बेड की कमी के कारण उनकी जान जा रही है। इससे पहले कि स्थिति और भी भयावह हो जाए, स्वास्थ्य विभाग को समय रहते कदम उठाने ही होंगे। महज 70 बेड हैं नागरिक अस्पताल में कोविड-19 की दूसरी लहर जितनी खतरनाक साबित हो रही है, उतने ही इंतजाम नाकाफी हैं। कोरोना की पहली दस्तक के समय जब स्थिति भी काबू में थी, उस समय न बेड की किल्लत थी और न ही उपचार की। किसी भी तरह की अफरा तफरी नहीं मची थी लेकिन इस बार अभी से हाल बेहाल हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के पास इस बार सरकारी अस्पताल में महज 70 बेड का ही इंतजाम है। इसके अतिरिक्त कहीं कोई क्वारंटाइन सेंटर नहीं बनाया गया है। निजी अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर भी स्वास्थ्य विभाग का कोई कंट्रोल नहीं हैं। सभी कोविड संक्रमितों को क्वारंटाइन सेंटरों में रखा जा रहा था तथा संक्रमित को बाहर घूमने की कोई अनुमति नहीं थी लेकिन अब सभी संक्रमितों को उनके घर पर ही अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। संक्रमित की तबीयत बिगड़ती है तो न उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है और न ही निजी अस्पताल में। कहीं नहीं हुआ सैनिटाइजर का छिड़काव सिर्फ उपचार की ही सुविधा लचर नहीं है बल्कि सैनिटाइजर के छिड़काव को लेकर भी पूरी लापरवाही बरती जा रही है। पिछली बार जहां नगर परिषद ने पूरे शहर में सैनिटाइजर का छिड़काव किया था, वहीं गांवों में भी ग्राम पंचायतों ने पूरा मोर्चा संभाला हुआ था। इस बार एक भी बूंद सैनिटाइजर की नहीं छिड़की गई है।

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पहली लहर में हमारे पास थे सैकड़ों बेड कोरोना की पहली लहर के समय जिले में बेड की कोई कमी नहीं थी। अकेले नागरिक अस्पताल में ही 100, कोसली अस्पताल में 40 व निजी अस्पताल में 70 बेड रिजर्व थे। इसके अतिरिक्त निजी अस्पतालों में 15 व नागरिक अस्पताल में 5 वेंटिलेटर का इंतजाम था। होटलों में भी 100 के लगभग बेड आरक्षित किए गए थे। वहीं स्कूलों व कालेजों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में 200 के लगभग बेड की अलग से व्यवस्था थी।

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जागरण सुझाव

-स्कूल व कालेजों में कक्षाएं नहीं लग रही, वहां फिर से क्वारंटाइन सेंटर बनाएं जाएं। धर्मशाला व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी व्यवस्था की जा सकती है।

-जिले में एक हजार बेड की व्यवस्था तथा वहां आक्सीजन का इंतजाम किया जाए। आक्सीजन व बेड होंगे तो किसी तरह की अफरा-तफरी नहीं मचेगी।

-निजी अस्पतालों पर भी नियंत्रण किया जाए। कोविड मरीजों के उपचार के लिए बेड चार्ज व उपचार राशि का निर्धारण किया जाए ताकि आम आदमी से मनमानी फीस न वसूली जाए।

-सैनिटाइजर का छिड़काव करने के साथ ही सैंपलिग भी बढ़ाई जाए। कोविड चेन तोड़ने के लिए भीड़भाड़ वाले स्थानों पर भी लोगों के एकत्रित होने पर नकेल कसी जाए।

-आक्सीजन का स्टाक व कालाबाजारी को रोका जाए।

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प्रबंधन की दृष्टि से सरकार को व्यवस्था की खामियां दूर करनी होंगी। कोरोना को लाभ के अवसर के रूप में देखना अनैतिक है। यह मानवता की सेवा के प्रति समर्पित होकर काम करने का समय है। ऐसी स्थिति में कालाबाजारी गैर कानूनी तो है ही बल्कि अनैतिक और मानवता के प्रति अपराध भी है। शासन को जहां कहीं भी सिस्टम में छेद नजर आ रहे हों, उन्हें बिना देरी के भरना चाहिए। जिन्हें आक्सीजन की जरूरत है उनके लिए मिनटों का इंतजार भी बहुत बड़ी बात होती है, इसलिए आक्सीजन के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए जाएं।

-एसपी यादव, सीईओ पुष्पांजलि अस्पताल

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सरकार की गाइडलाइन के अनुसार कोविड से निपटने की पूरी तैयारी की गई है। नागरिक अस्पताल में आक्सीजन के साथ बेड उपलब्ध है। वहीं, निजी अस्पतालों की भी निरंतर जांच की जा रही है। आक्सीजन की किसी तरह की कालाबाजारी व स्टाक न हो इस पर हमारी पूरी निगाह है। एक दो दिन में व्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर नजर आएगी।

-डा. सुशील कुमार माही, सिविल सर्जन

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