बारिश ने सरसों की बिजाई में किया नुकसान

डीएपी खाद को लेकर परेशानी झेल रहे किसानों को अब बारिश ने परेशानी में डाल दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 06:26 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 06:26 PM (IST)
बारिश ने सरसों की बिजाई में किया नुकसान
बारिश ने सरसों की बिजाई में किया नुकसान

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: डीएपी खाद को लेकर परेशानी झेल रहे किसानों को अब बारिश ने परेशानी में डाल दिया है। जिले में रबी की फसल व सरसों की बिजाई चल रही है। रविवार को जिले के कुछ हिस्सों में बारिश हुई है। रविवार को हुई बारिश के कारण बिजाई की गई सरसों में नुकसान का अंदेशा है। वहीं बारिश के बाद जिन्होंने अभी तक बिजाई नहीं की थी उनको अब और इंतजार करना पड़ेगा।

रविवार को रेवाड़ी, बावल, धारूहेड़ा और कोसली में बारिश हुई है। हालांकि कुछ समय बाद मौसम साफ हो गया। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के मौसम विभाग के अनुसार 19 अक्टूबर तक क्षेत्र में तेज चमक, गरज और हवाओं के साथ बारिश होती रहेगी। बारिश के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिले में सरसों की बिजाई का समय एक अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक माना जाता है। डीएपी खाद की किल्लत के कारण इस बार सरसों की फसल की बिजाई में देरी हो रही है, वहीं बारिश होने के कारण बिजाई का समय और बढ़ गया है। तेज बारिश के कारण बोई गई सरसों के न उगने का अंदेशा रहता है और किसानों को दोबारा बिजाई करनी पड़ सकती है। ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। इनसेट:

बारिश के कारण शहर में हुआ जलभराव

रविवार को हुई बारिश के कारण शहर में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई। शहर के माडल टाउन, नया बाजार, माता चौक बाजार, रावली हाट, गुर्जरवाड़ा, भाड़ावास गेट सहित अन्य निचले हिस्सों में घंटों तक पानी भरा रहा। पानी की उचित निकासी नहीं होने के कारण ज्यादा परेशानी रही। आगामी दो दिन और बारिश की संभावना है। रविवार को सभी जगह बारिश नहीं हुई है। कहीं-कहीं ही बारिश हुई है। बारिश की संभावनाओं को देखते हुए किसान को सरसों की बिजाई का कार्य अभी रोक देना चाहिए। अभी सरसों की फसल की बिजाई में कोई देरी नहीं है। 30 अक्टूबर तक किसान सरसों की फसल की बिजाई कर सकते हैं। इसके बाद किसान 15 नवंबर तक सरसों की पछेती किस्म की बिजाई कर सकते हैं। बिजाई करने में किसान किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें।

-दीपक कुमार, उपमंडल अधिकारी कृषि विभाग।

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