गांवों तक पहुंचाएंगे साहित्य की गूंज: डा. सारस्वत मोहन मनीषी

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डा. सारस्वत मोहन मनीषी ने कहा कि साहित्य का दायरा अब सीमित रहने वाला नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 06:42 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 06:42 PM (IST)
गांवों तक पहुंचाएंगे साहित्य की गूंज: डा. सारस्वत मोहन मनीषी
गांवों तक पहुंचाएंगे साहित्य की गूंज: डा. सारस्वत मोहन मनीषी

अमित सैनी, रेवाड़ी

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डा. सारस्वत मोहन मनीषी ने कहा कि साहित्य का दायरा अब सीमित रहने वाला नहीं है। इसकी गूंज तहसील और गांव के स्तर पर भी सुनाई देगी। तहसील व गांव के स्तर पर साहित्य परिषद की इकाइयों का गठन किया जाएगा। परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रविवार को शहर के माडल टाउन स्थित हिदू हाई स्कूल में आयोजित परिषद के प्रांतीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रेवाड़ी पहुंचे थे। इस दौरान साहित्यिक उत्थान से जुड़े विभिन्न विषयों पर उन्होंने बातचीत की।

डा. सारस्वत ने कहा कि कविता कभी साहित्य के केंद्र में थी। आज कविता हाशिये पर है कविता छंद की बजाय गद्यात्मक हो गई है। मंचीय कवियों ने चुटकलों को भी कविता का रूप दे दिया है। यही कारण है कि तमाम साहित्यिक विधाओं पर असर पड़ा है। मेरी गजल की दो पंक्तियां 'भूसा ज्यादा दाने कम, फिर भी चले भुनाने हम' वर्तमान परिवेश पर पूरी तरह से सटीक बैठ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि कवियों और साहित्यकारों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन गुणवत्ता कहीं दिखाई नहीं पड़ती। हर कोई बस पुरस्कार पाने के जुगाड़ में लगा हुआ है।

संस्कृति की मूल चेतना पर हो रहा प्रहार: प्रांतीय अध्यक्ष ने कहा कि जेएनयू और कुछ अन्य स्थानों पर एक सोची समझी रणनीति के तहत देश की संस्कृति की मूल चेतना पर प्रहार करने का काम किया जा रहा है। इसके लिए विदेशों से बेहतहाशा पैसा आ रहा है। मुट्ठी भर लोग देशविरोधी ताकतों के साथ मिलकर पूरा खेल कर रहे हैं। डा. सारस्वत ने कहा कि अब फिल्मों में भी अश्लीलता की तमाम सीमाओं को लांघा जा रहा है। संस्कृति पर हो रहे इस हमले के विरोध में अब प्रतिकार होने लगा है। लोग जाग रहे हैं, जिसके परिणाम निकट भविष्य में सुखद होंगे। इनसेट:

प्रदेशभर से जुटे साहित्यकार

प्रांतीय सम्मेलन में प्रदेशभर से साहित्यकार रेवाड़ी में एकत्रित हुए। परिषद के मार्गदर्शक डा. शिवकुमार खंडेलवाल, डा. पूर्णमल गौड़, उपाध्यक्ष रामधन शर्मा, संतोष गर्ग, संगठन मंत्री मनोज भारत, कोषाध्यक्ष हरींद्र यादव, प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के उपाध्यक्ष वीपी यादव, मुंबई से आए कथाकार बीएल गौतम सहित अन्य साहित्यकारों ने साहित्य के उत्थान को लेकर अपने विचार रखे।

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