आंगनबाड़ी योजना के निजीकरण पर रोक की मांग
सरकारी स्कीम वर्करों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन भी जारी रही।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : सरकारी स्कीम वर्करों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका यूनियन की जिला प्रधान तारादेवी ने कोरोना संक्रमण के फैलाव को देखते हुए अकेले ही उपायुक्त कार्यालय में राष्ट्रपति के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में यूनियन ने मांग की है कि आंगनबाड़ी स्कीम के निजीकरण पर रोक लगाई जाए, पर्याप्त बजट दिया जाए, 2018 सितंबर में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित वृद्धि का भुगतान किया जाए जो कार्यकर्ता के 1500 और सहायिका के 750 रुपये महीने के हिसाब से बकाया हैं। इसके अलावा 45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के तहत स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने तक श्रमिक का दर्जा और 28 हजार रुपये न्यूनतम वेतन व 10 हजार रुपये मासिक पेंशन लागू की जाए और महिलाओं व बच्चों को अच्छा गुणवत्तापूर्ण पोषाहार देने की मांग की। सरकार को फिजूल खर्च से बचना चाहिए तथा मेहनतकश लोगों के हित में काम करना चाहिए।
उन्होंने हरियाणा सरकार से मांग की है कि वह सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को समान रूप से विकसित करे, इनमें भेदभाव की नीति न अपनायी जाए। जो कार्यकर्ता 12वीं से ज्यादा पढ़ीं हैं, उन्हें सुपरवाइजर या अन्य विभागों में उचित पदों पर पदोन्नत किया जाए। 9 अगस्त के जेल भरो सत्याग्रह में भी तीनों स्कीमों की यूनियन बढ़ चढ़कर भाग लेंगी।