जोगिया द्वारे द्वारे: महेश कुमार वैद्य

चर्चा में है दुष्यंत का ताऊ सा अंदाज राजनीति में अंदाज का खास महत्व है। चौ. देवीलाल से लेकर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 07:21 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 07:21 PM (IST)
जोगिया द्वारे द्वारे: महेश कुमार वैद्य
जोगिया द्वारे द्वारे: महेश कुमार वैद्य

चर्चा में है दुष्यंत का ताऊ सा अंदाज राजनीति में अंदाज का खास महत्व है। चौ. देवीलाल से लेकर लालू यादव तक कई नेताओं की पहचान विशेष अंदाज से रही है। उप मुख्यमंत्री बनने के बाद कुछ दिन पूर्व पहली बार अहीरवाल की राजनीतिक राजधानी रेवाड़ी पहुंचे दुष्यंत चौटाला ने भी अपने खास अंदाज से कार्यकर्ताओं के बीच पड़दादा ताऊ देवीलाल जैसी छाप छोड़ने का प्रयास किया। जजपा कार्यकर्ताओं के लिए तो उनका आना बड़े अवसर जैसा था। विधानसभा चुनाव से पहले किसने सोचा था कि कभी अहीरवाल के जजपा वालों के ऐसे सुनहरे दिन भी आएंगे। इसी का नाम समय है। पार्टी नेताओं की ठसक देखने लायक थी। दुष्यंत ने कार्यकर्ताओं को उम्मीद से अधिक समय दिया। लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में अधिकारियों की बैठक लेने के बाद उन्होंने कई कार्यकर्ताओं की निजी समस्याओं का समाधान कर उन्हें निहाल कर दिया। दुष्यंत का कद बेशक ताऊ जैसा नहीं मगर अंदाज अब भी चर्चा में है।

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फिर चली लाटसाहब बनने की चर्चा राजनीतिक हलकों में लंबे कद के पंडित रामबिलास शर्मा को कुछ लोग प्रोफेसर साहब तो कुछ दादा श्री के नाम से पुकारते रहे हैं, मगर इन दिनों कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उन्हें पीछे से लाटसाहब (राज्यपाल) कहने लगे हैं। इस बात की खुसर-फुसर पहले भी चलती रही है कि रामबिलास को गवर्नर या लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाया जा सकता है। अतीत में यह चर्चा कोई और नहीं बल्कि दादा के विरोधी चलाते रहे हैं, मगर इस समय इनके कुछ शुभचितक भी प्रोफेसर साहब के लाट साहब बनने की चर्चा चला रहे हैं। इन चर्चाओं के पीछे का सबका अपना गणित है। पंडित जी भी इस बात को जानते हैं कि राजनीति ढलती-फिरती छाया की तरह है। शुभचितकों की यह राय बुरी नहीं है। अगर वर्तमान परिस्थितियों में लाटसाहब का पद मिलता है तो सौदा लाभ का ही है। चुनाव हारने के बाद बनी परिस्थितियों में तो यह बड़ा इनाम होगा।

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उधार की शक्ति को झटका देंगे ठेकेदार पहले ठेकेदार, फिर विधायक और मंत्री। साधारण से असाधारण का सफर। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की मेहरबानी से वर्ष 2014 में कोसली से भाजपा का टिकट मिला। जीत मिली और मंत्री पद मिला तो भाग्य बदल गया। यह आम लोगों का गणित है, मगर बिक्रम अब उधार की शक्ति को झटका देने की तैयारी में हैं। उनका मानना है कि राव की मेहरबानी से टिकट मिला, मगर उन्हें पार्टी से बढ़कर उनका कद स्वीकार नहीं। ठेकेदार मानते हैं कि राजनीति में उन्हें अहीरवाल के बड़े नेता का सहारा मिला, मगर उनका यह कहना है कि बड़े नेता इसलिए बड़े हैं, क्योंकि उन्हें भी बड़ी पार्टी का सहारा मिल गया। उनका तर्क है कि अगर गुरु वाकई बड़े नेता होते तो धारा के विपरीत चुनाव लड़कर दिखाते। समर्थकों के बीच बिक्रम ने रेवाड़ी विधानसभा का उदाहरण दे डाला। इस पर किसी ने बिन मांगी नेक सलाह दी है। गुरु तो गुरु हैं ठेकेदार।

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खास है देसी छोरे की विदेशी दुल्हन दो दिन बाद पूर्व विधायक रघु यादव के बेटे सृजन अर्जेंटीना की अलजेंड्रा डियाज के साथ विवाह बंधन में बंध जाएंगे। अपने रघु के देसी छोरे की विदेशी दुल्हन कई मायनों में खास है। सृजन की माने तो डियाज नियमित योग करती हैं। पशुपालन में पूरी रुचि है। भारतीय पशुओं के कुछ नाम नए हो सकते हैं, मगर भारतीय पशु उनके लिए नए नहीं है। डियाज को यहां बहुत कुछ रुचि के अनुसार मिलेगा, मगर कारोना महामारी ने शादी की रंगत फीकी तो कर ही दी है। सृजन अपने ताऊ डॉ. ईश्वर यादव के यादव समारोह में सैकड़ों शादियों के गवाह बन चुके हैं। उन्होंने इनमें पूरी रौनक देखी है, मगर विदेशी मैम से शादी सादगी से ही हो पाएगी। मेहमान भी गिने-चुने ही होंगे, क्योंकि कानून ने राह रोकी हुई है। दो संस्कृतियों का मिलन देखने लायक होगा मगर दर्शक दीर्घा में भीड़ नहीं होना दोनों को अखरेगा जरूर।

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