शहरनामा: अमित सैनी

ये भी खूब रही नंबरदार साहब

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 03:39 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 03:39 PM (IST)
शहरनामा: अमित सैनी
शहरनामा: अमित सैनी

ये भी खूब रही नंबरदार साहब पूर्व पार्षद गुरदयाल नंबरदार इन दिनों चर्चा में है। नंबरदार साहब का दो दिन पूर्व ही वार्ड के रहने वाले लोगों ने घेराव कर लिया था। मामला उत्तम विहार का था, जहां सड़क व सीवर लाइन डाली जानी है। मोहल्ले वालों का कहना है कि इन कार्यों के लिए लॉकडाउन से पूर्व ही टेंडर छोड़ दिया गया था, लेकिन काम आजतक शुरू नहीं किया गया है। पूर्व पार्षद भी जानते हैं कि नगर परिषद पर अब उनका नहीं बल्कि अधिकारियों का राज है। अधिकारी चाहेंगे तो काम होगा और नहीं चाहेंगे तो काम नहीं होगा। ऐसे में कुछ न कुछ तो ऐसा करना ही पड़ेगा, जिससे आम आदमी की पीड़ा पर अधिकारियों की निगाह चली जाए। समस्या लेकर आए लोगों से पूर्व पार्षद को खुद का घेराव कराना पड़ा, जिससे अधिकारी भी सतर्क हो गए। पूर्व पार्षद राजनीति के भी मंजे हुए खिलाड़ी है, जानते हैं काम कैसे होता है।

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अब अटके कामों को भी अनलॉक कर दीजिए

कोरोना संक्रमण ने हर किसी की रफ्तार को थामकर रख दिया। लॉकडाउन के चलते आम आदमी अपने घरों में बंद हैं, वहीं सरकारी विभागों द्वारा कराए जाने वाले विकास कार्यों पर भी ब्रेक लग गया। लॉकडाउन से पहले नगर परिषद की ओर से शहर में कई सड़कों के टेंडर छोड़े गए थे। वहीं, कई जगहों पर पेयजल लाइन भी बिछानी थी। उस समय सड़कें उखाड़कर छोड़ दी गई थी जिन पर काम आजतक भी शुरू नहीं हो पाया है। मॉडल टाउन में जहां उखड़ी हुई सड़क परेशानी खड़ी कर रही है, वहीं भाड़ावास गेट के निकट पेयजल लाइन के लिए खोदे गए गड्ढे हादसे का कारण बन रहे हैं। उखाड़ी गई सड़क पर से गुजरने वाले लोगों के मुंह से बरबस ही निकल पड़ता है कि जब धीरे-धीरे हर चीज अनलॉक हो रही है तो नगर परिषद को भी अब अपने अटके हुए कामों को अनलॉक कर ही देना चाहिए।

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मशीन आई तो अब स्टॉफ की दिक्कत जिले में तेजी से पैर फैला रहे कोरोना संक्रमण के मामलों ने प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के माथे पर भी पसीना लाया हुआ है। 450 से अधिक पॉजिटिव केस अभी तक सामने आ चुके हैं। केस बढ़े तो सरकार ने भी सुध ली तथा नागरिक अस्पताल में कोरोना जांच की मशीनों को भेज दिया गया है। अभी तक जहां फरीदाबाद, रोहतक व गुरुग्राम से कोरोना सैंपलों की जांच करानी पड़ रही है, वहीं मशीन लगने के बाद जांच की सुविधा यहीं पर मिल जाएगी। राहत की बात यह है कि मशीन आने से ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच हो सकेगी, लेकिन आफत यह है कि प्रशिक्षित स्टॉफ कहां से लाए। कोविड लैब में चौबीसों घंटे ड्यूटी के लिए कम से कम 8 से 10 लैब तकनीशियनों की आवश्यकता पड़ेगी और विभाग के पास इतने कर्मचारी है नहीं। वहीं लैब तकनीशियनों का प्रशिक्षण भी एक बड़ी चुनौती है।

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खानापूर्ति करके टाल दिया काम बावल रोड को न जाने क्या अभिशाप लगा हुआ है कि इसके बनने का मुहूर्त ही नहीं आ रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस सड़क का कोई भी विभाग स्थायी रखवाला नहीं है। बावल चौक से लेकर राजीव चौक तक करीब 3 किमी का हिस्सा पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। पहले यह हिस्सा जहां लोकनिर्माण विभाग के पास था, वहीं अब राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण प्राधिकरण (एनएचएआइ) इसको संभाल रहा है। सड़क की जर्जर हालत को लेकर जब कभी मीडिया में खबरे आती हैं तो एनएचएआइ की ओर से गड्ढों को भरने का काम शुरू कर दिया जाता है। करना ऑपरेशन होता है लेकिन एनएचएआइ के अधिकारी मरहम पट्टी से ही काम चला देते हैं। हाल ही में एनएचएआइ की तरफ से सड़क दोबारा बनाने की बजाय एक बार फिर से तारकोल मिलाकर गड्ढों में रोड़ियां भर दी गई हैं। ये रोड़ियां तो उन गड्ढों से भी ज्यादा खतरनाक हैं।

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