Farmer Protest: संयुक्त किसान मोर्चा ने फिर कहा, BJP-JJP नेताओं को गांवों में प्रवेश नहीं करने देंगे

Farmer Protest संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार हरियाणा के किसान संगठनों द्वारा पूर्व में जारी गांव बंदी जारी रहेगी। भाजपा-जजपा नेताओं के गांवों में प्रवेश पर रोक जारी रहेगी। दोनों दलों के नेताओं को सामाजिक आयोजनों में आमंत्रित नहीं किया जाएगा और जहां जाएंगे वहीं काले झंडों से विरोध होगा।

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 02:00 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 02:00 PM (IST)
Farmer Protest:  संयुक्त किसान मोर्चा ने फिर कहा, BJP-JJP नेताओं को गांवों में प्रवेश नहीं करने देंगे
Farmer Protest: संयुक्त किसान मोर्चा ने फिर कहा, BJP-JJP नेताओं को गांवों में प्रवेश नहीं करने देंगे

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर जारी किसानों के धरना-प्रदर्शन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा का जननायक जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के विधायक और सांसद के प्रति सख्त रुख बरकरार है। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, हरियाणा के किसान संगठनों के द्वारा पूर्व में जारी गांव बंदी यथावत जारी रहेगी। भाजपा-जजपा नेताओं के गांवों में प्रवेश पर रोक जारी रहेगी। दोनों दलों के नेताओं को सामाजिक आयोजनों में आमंत्रित नहीं किया जाएगा और जहां जाएंगे, वहीं काले झंडों से विरोध होगा। किसान नेताओं ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है। दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर शारीरिक दुर्व्यवहार की घटना का शिकायतकर्ता ने स्पष्टीकरण दे दिया है, बावजूद इसके मामले को तूल दिया जा रहा है।

नेताओं की ओर से कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी का सम्मान करता है। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। किसी भी किस्म की छेड़खानी, दुर्व्यवहार या उल्लंघन को रोकने व इससे संबंधित शिकायत की सुनवाई करने के लिए महिला समितियों का गठन किया जा चुका है। वर्तमान मामले में एक औपचारिक शिकायत टिकरी बॉर्डर की पांच सदस्यीय महिला समिति को दे दी गई। मोबाइल नंबर 9818119954 पर ऐसे मुद्दों को उठाया जा सकता है।

तेज होगा संयुक्त मोर्चा का संघर्ष

संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन कृषि कानूनों के विरोध को लेकर जारी संघर्ष तेज करने का एलान किया है।  इसके तहत सोमवार को गुरु अर्जनदेव का शहीदी दिवस मनाया जा रहा है, जबकि 24 जून को कबीर जयंती मनाई जाएगी। सबसे अहम कार्यक्रम 26 जून का रहेगा। इस दिन मोर्चा की ओर से देशभर में राजभवनों के बाहर खेती बचाओ लोकतंत्र बचाओ अभियान के तहत धरना दिया जाएगा। खास बात यह रहेगी कि किसान नेता आंदोलन का समर्थन कर रही कांग्रेस की नाराजगी की चिंता छोड़कर इस दिन इमरजेंसी के काला अध्याय का सच भी लोगों को बताएंगे।संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गंभीरता से आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं।

आंदोलन की रूपरेखा देखकर यह तय है कि आपातकाल के लिए इंदिरा गांधी को जिम्मेदार ठहराने में किसान नेता संकोच नहीं करेंगे। किसान नेताओं ने जागरण से बातचीत में भी कहा कि हमारा संघर्ष किसी राजनीतिक दल के भरोसे नहीं चल रहा है। गुरनाम सिंह चढूनी ने 26 जून का दिन चुनने के पीछे की वजह पर टिप्पणी नहीं की, मगर योगेंद्र यादव व कुछ अन्य किसान प्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट किया कि हमारी लड़ाई लोकतंत्र के लिए है। फिर कांग्रेस हो या भाजपा, हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, जून को दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के सात महीने पूरे होने और एक अधिनायकवादी सरकार द्वारा लागू की गई इमरजेंसी की 46वें वर्षगांठ पर लोगों को आगाह करने के लिए विशेष कार्यक्रम होंगे। राज्यपालों को ज्ञापन देकर मांगें बताई जाएगी और यह भी रेखांकित किया जाएगा कि अघोषित आपातकाल की वर्तमान परिस्थिति में नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन न हो। मिशन यूपी व उत्तराखंड पर भी संयुक्त किसान मोर्चा में जल्दी ही विस्तृत चर्चा होगी।

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